ब्लैक लिस्टेड माडर्न पब्लिक स्कूल के सेण्टर बनाने के मामले में नहीं हुई कार्यवाही
सिक्कों की खनक से जिले के अधिकारियों ने स्कूल संचालक के कारनामों पर डाला पर्दा
जय श्री राम का नारा लगाने पर दो गुटों में खेली गयी थी खून की होली
संदीप पाण्डेय
सलोन, रायबरेली। हाल ही में आप लोगों ने ब्लैक लिस्ट की सूची में पडे नाम के विद्यालय को सेंटर बनाए जाने की खबरें पढ़ी होंगी। जी हां, हम उसी माडर्न पब्लिक इंटरमीडिएट कालेज की बात कर रहे हैं जहां छात्रों में बवाल के बाद प्रकाश में यह बात आई की यह वही विद्यालय है जिसे उत्तर पुस्तिकाओं में हेराफेरी के आरोप में बीते वर्ष 2020 से अगामी सन 2024 तक के लिए ब्लैक लिस्ट की सूची में डाल दिया गया था किन्तु जनपद के अधिकारी चंद सिक्कों की खनक में शासनादेश को भी दरकिनार करने में नहीं चूके।
प्रभाव व प्रलोभन में आकर बड़े से बड़े मामले में पर्दा डाल उसे ईमानदारी का चोला पहनाना कार्यशैली का हिस्सा बना हुआ है। यह आदेश 23 जनवरी के मिले एक शासनादेश में स्पष्ट रुप से शासनादेश के 173 नंबर क्रमांक के सूची में नाम था व विद्यालय कोड 1217 था जिसके बावजूद उक्त माडर्न पब्लिक स्कूल इंटरमीडिएट कालेज को सेंटर बना दिया गया जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सांठ-गांठ कर भ्रष्ट कारनामों पर किस तरह से पर्दा डाल दिया जाता है। बताते चलें कि यह वही माडर्न पब्लिक स्कूल इंटरमीडिएट कालेज है जहां वाइस प्रधानाचार्य सबा चौधरी की तानाशाही रवैए से बीते 9 मार्च को जय श्री राम के नारों को लेकर छात्रों के दो गुट आपस में भिड़कर खून की होलियां खेली थी।
हालांकि अपने दामन के दाग छुड़ाने के लिए आनन-फानन में स्कूल प्रशासन अपनी कुंभकर्णी नींद से जाग कुछ छात्रों पर मुकदमा जरुर दर्ज करवाया है किंतु कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह आज भी लगा हुआ है। इस मामले की पिछले अंक में खबरें भी आप सब ने प्रमुखता से पढ़ी होंगी किंतु जिले के जिम्मेदार अधिकारी मामले में अब तक चुप्पी साधे हुए हैं, आखिर क्यों…? अब देखना यह है कि आखिर कब तक जिम्मेदार भ्रष्ट स्कूल संचालक को ईमानदारी का चोला पहनाकर उसकी पैरवी करते रहेंगे?
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