ग्रामीणांचलों में शिक्षा की अलख जगाने वाले आचार्य रमाकान्त नहीं रहे
राघवेन्द्र पाण्डेय
अमेठी। गुनई शुकुलपुर (बहुचरा) निवासी आचार्य रमाकांत त्रिपाठी आजीवन सरस्वती विद्या मंदिर के विभिन्न विद्यालयों में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत रहते हुए शिक्षा का उंजियारा फैलाया। अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदार रहते हुए आजीवन “बसुधैव कुटुम्बकम”की भावना से ओत-प्रोत रहे। मुसाफिरखाना शिशु मंदिर के प्रधानाचार्य का बीते 15 दिन पहले पखवारे मुसाफिरखाना के पास सड़क दुर्घटना हुई थी जिसमे वो पत्नी सहित चोटिल हो गए थे।
उनका असमय जाना अत्यंत ही पीड़ादायी है। प्रतापगढ़ जिले के गुनई शुकुलपुर (बहुचरा) के मूल निवासी आचार्य रमाकांत त्रिपाठी लगभग 1985 में विवेकानंद स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आचार्य पद से विद्या भारती में शिक्षण सेवा की शुरुआत की।
इसके बाद शाहगंज स्थित नौरंगी लाल सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य के पद पर आसीन हुए। अच्छी सेवाओ के चलते इन्हें नरायणपुर में प्रारम्भ हुए नए सरस्वती शिशु मंदिर का प्रधानाचार्य बनाया गया। विद्या भारती संगठन ने इन्हें जहां भी लगाया, सहर्ष स्वीकार कर अपनी सेवाओं से विद्यालय को उत्तम बनाया। इसके बाद अमेठी के सरयू देवी शिशु विद्या मंदिर में भी प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किए। 31 मार्च को विद्या भारती से सेवानिवृत्त हुए। उनके असामयिक निधन पर विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री हेमचन्द्र जी समेत अन्य पदाधिकारियों ने शोक संवेदना व्यक्त किया।
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