सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जा दिलाये जाने में लेखपाल की संदिग्ध भूमिका की जांच की हुई मांग
संदीप पाण्डेय रायबरेली। प्रदेश में बीजेपी की सरकार की दुबारा वापसी होने के बाद से सरकारी जमीनों से अवैध कब्जे हटाए जाने का फरमान आते ही बुलडोजर गरजाया जाने लगा लेकिन दर्जनों मामलों में लेखपाल की भूमिका संदिग्ध होने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं होने से सरकार के जिम्मेदार अधिकारियों पर शक की सुई घूम रही है। शिकायतकर्ताओ की माने तो बीते 2019 में अकबरपुर कछवाह में तैनात लेखपाल जितेन्द्र सिंह की मिलीभगत से भू माफियाओं ने कई बीघा सरकारी और चारागाह की ज़मीन को ही प्लाटिंग करके बेच दिया। उल्लेखनीय है कि अकबरपुर कछवाह में गाटा संख्या 5 में कुछ हिस्सा एसडीएम ने मुकदमा संख्या 15/ 13-09-18 में एक आदेश संख्या 1426 के क्रम में 0.2530 हे. पर अंकित खातेदारों का नाम निरस्त करते हुए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के तहत उक्त गाटा को ग्रामसभा के खाते में अंकित किये जाने का आदेश दिया।
सूत्रों की माने तो वहां तैनात लेखपाल जितेन्द्र सिंह ने भूमाफियाओं से सांठगांठ करके मोटी रकम लेकर जमीन को खाली कराए जाने के बजाय प्लाटिंग करवा करके बेच दिया। यहीं नहीं ग्रामसभा में अन्य कई सरकारी जमीनो पर भूमाफियाओं की मिलीभगत से कूट रचित अभिलेखों के सहारे कब्जा दिलाये जाने में सफल रहा। इस दौरान सरकारी जमीनो के आसपास के भूस्वामियों द्वारा की गई शिकायतों को फर्जी आख्या लगाकर निस्तारित करके उच्च अधिकारियों को गुमराह करके अपने को बचाने में सफल रहा। यह तो बानगी मात्र है अपनी तैनाती के दौरान सदर तहसील के अलग अलग क्षेत्रों में ऐसे दर्जनों मामलों में लेखपाल की सरकारी जमीनो पर अवैध कब्ज़ा कराये जाने में भूमिका की जांच कराई जाए तो इसकी काली करतूतो का खुलासा होंने में देर नहीं लगेगी फिलहाल भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद भी इस लेखपाल के ऊपर कोई भी कार्यवाही नहीं होने की चर्चा हर आमोखास की जुबान पर बनी हुई है। पीड़ित शिकायतकर्ताओ ने डीएम से लेखपाल द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की जांच करा कर कार्यवाही किये जाने की मांग की है।
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