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चंदन अग्रहरि
शाहगंज, जौनपुर। कहते हैं ईश्वर जिसको जेहन (प्रतिभा) दे दे। किसी किसी के अंदर यह प्रतिभा समय और उम्र से पहले दे देता है। उसे निखारने में माँ-बाप और गुरुजनों का सहयोग महत्त्वपूर्ण होता है। ऐसा ही कुछ कोतवाली क्षेत्र के ग्राम अशरफपुर उसरहटा निवासी मो. अय्यूब के छः वर्षीय पुत्र अल्तमस मंसूरी ने कर दिखाया। कम उम्र में ही अल्तमस को कुरान शरीफ को पढ़ने की ऐसी लगन लगी कि मात्र छः वर्ष की छोटी आयु में अरबी के शब्दों में लिखी तीस पारे (अध्याय) को पढ़कर समाप्त कर दिया।
अमूमन मुस्लिम समुदाय के धार्मिक ग्रन्थ कुरान शरीफ को पूरा करने में छोटे बच्चों को काफी समय अर्थात् कम से कम 10-15 वर्ष की उम्र में पूरा कर पाते हैं। अल्तमस की इस प्रतिभा और कुरान शरीफ पढ़कर पूरा करने की खुशी में मां शमा और दादी ने गांव और रिश्तेदारों को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। अल्तमस मंसूरी गांव के ही एक विद्यालय में कक्षा एक का छात्र है।
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