साहब आखिर कब तक चारागाह की सुरक्षित भूमि पर भू-माफिया करेंगे अवैध खेती?
चारागाह की भूमि पर कुछ ही वर्षों में सैकड़ों अवैध मकान बनाकर भू-माफिया हुये काबिज अनुभव शुक्ला रायबरेली। जिले के जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालय से लगभग 30 किलोमीटर मीटर की दूरी पर मौजूद सलोन तहसील एक ऐसी तहसील जहां साहबों के रहमों करम से भू-माफियाओं का बोल बाला है। कूढा, डीघा, रोखा, किठावां, मटका सहित दर्जनों ग्राम सभा की सरकारी जमीनों पर साहबों के रहमो करम से भू-माफिया कहीं धान की अवैध खेती कर रहे हैं तो कहीं अवैध निर्माण कर रहे हैं। तहसील के अधिकारी लचर कार्यशैली के चलते भूमाफियों को अवैध कब्जा देने की प्रथा कब तक चलायेंगे। इसका उत्तर मिलना मुश्किल सा लग रहा है।
हद तो तब पार होती है जब इस पूरे भ्रष्टाचार की लगातार खबर प्रकाशित करने के बावजूद जिले के जिम्मेदारों द्वारा आज तक अधिकारियों के संरक्षण मे सरकारी जमीनों पर हो रहे अवैध कब्जों की प्रथा पर कार्यवाही क्या जांच कराना भी अब तक मुनासिब नहीं समझा गया। बताते चलें कि सलोन तहसील मुख्यालय से लगभग 4 किलोमीटर दूर स्थित मटका एक ऐसी ग्रामसभा जहां साहबों से सांठ-गांठ कर भू-माफिया वर्षों से खेती करते चले आ रहे हैं तथा कुछ ही वर्षों मे एक साथ कई भू-माफियाओं ने अवैध मकानों का निर्माण भी करा लिया। वर्तमान समय मे भी भू-माफियाओं ने चारागाह की लगभग 40 बीघा भूमि में धान की अवैध फसल की रोपाई कर दिये। इतना ही नहीं, पिछले वर्ष से लेकर अब तक में चारागाह की ही सुरक्षित जमीनों पर कई अवैध मकानों में छत पड़ गई। हालाँकि यह कोई नई बात नहीं है। यह खेल वर्षों से चला आ रहा है जहां प्रतिवर्ष साहबों से सांठ-गांठ कर भू-माफिया लाखों रुपए की कमाई कर लेते हैं।
साथ ही लेखपालों से सांठ-गांठ कर अवैध निर्माण को भी बेखौफ ढंग से अंजाम दे देते हैं। हद तो तब पार होती है जब बीते वर्ष शिकायत पर सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी भू-माफिया व अपना बचाव करने के उद्देश्य से बेदखली का वाद धारा 67 दायर कर खानापूर्ति कर लिया जिसमें सिर्फ कागजों पर ही भू-माफियाओं की बेदखली की गई और वर्तमान में साहबो की संरक्षण में एक बार फिर धान की अवैध फसल लहलहाने लगी। दरअसल पूरा मामला सलोन तहसील क्षेत्र के मटका ग्रामसभा का है जहां अभिलेखों में ग्रामसभा मटका में खतौनी के मुताबिक 67 बीघा 8 बिस्वा चरागाह की सुरक्षित भूमि अभिलेखों में दर्ज है किंतु वर्तमान में एक तरफ जहां चारागाह की लगभग 20 बीघा भूमि में तहसील प्रशासन के जिम्मेदारों की सह पर कई संख्या में अवैध मकान कुछ ही वर्षों में बन गये, वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर तहसील प्रशासन के जिम्मेदारों की लचर कार्यशैली का फायदा उठाकर भू-माफियाओं ने सामूहिक रुप से चरागाह की लगभग 40 बीघा सुरक्षित भूमि मे धान की रोपाई कर दिया है। अब देखना यह है कि सलोन तहसील प्रशासन के अधिकारी भू-माफिया की चंगुल से चरागाह की सुरक्षित भूमि को मुक्त करवाते हैं या फिर पूर्व की भांति इस बार भी भू-माफियाओं को चंद सिक्कों की खनक में बरी कर देंगे? यह तो आने वाला समय ही बताएगा। अधिकारी बदलते हैं मगर भ्रष्ट कार्यशैली का नहीं बदलता निजाम यूं तो सलोन तहसील में चारागाह की सुरक्षित भूमि में अवैध कब्जों को लेकर अब तक में कार्यवाही के रूप में कई अधिकारियों के तबादले भी कर दिया गया परंतु सलोन तहसील मे अधिकारी तो जरूर बदलते हैं मगर भ्रष्ट कार्यशैली का निजाम बदलने का नाम नहीं ले रहा है। इससे तहसील क्षेत्र की सरकारी पर भू-माफिया बेखौफ हो अवैध खेती व निर्माण करते हैं।
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