महाकुम्भ 2025: कुम्भ का आर्थिक और राजनीतिक शास्त्र

महाकुम्भ 2025: कुम्भ का आर्थिक और राजनीतिक शास्त्र

महाकुम्भ मेले का 45 दिन बाद महाशिवरात्रि स्नान के बाद समापन हो गया। सरकार की तरफ से आंकड़े दिए जा रहे हैं कि 13 जनवरी से 26 फरवरी तक 66 करोड़ 30 लाख से आधिक लोगों ने स्नान किया। एक तरफ तो पूंजीपतियों के नुमाइंदे यह बोल रहे हैं कि देश की तरक्की के लिए सप्ताह में ‘70 घंटे और 90 घंटे’ काम करने की जरूरत है, दूसरी तरफ देश की करीब आधी जनसंख्या के पास इतना समय है कि वह कुंभ मेले में स्नान के लिए जाती है। यह भारत के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। हम देख रहे हैं कि कई युवा-युवतियां जो कि आईआईटी किये हुए हैं, वह भी साधु बनने आ रहे हैं और साधु लोग सांसद, विधायक, मंत्री बन रहे हैं। आईआईटी छात्र को उनके घर वाले और कई साधु संत भी विक्षिप्त बता रहे हैं। अगर इस देश का युवा वर्ग पढ़-लिखकर विक्षिप्त की हालत में जी रहा है तो उस देश का भविष्य क्या होगा।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनााथ यह कहते हुए कि ‘‘जो दुर्भावना से जायेंगे उसकी दुर्गति तय है,’’ भक्तों पर ही सवाल खड़े कर देते हैं। प्रशासन भीड़ को सम्हालने के लिए स्टेशन बंद कर देती है, कई किलोमीटर दूर गाड़ियों की आवाजाही रोक दी जाती है। उससे परेशान श्रद्धालुओं के नियति पर ही प्रदेश के मुख्यमंत्री सवाल खड़े करते हैं। मुख्यमंत्री के अनुसर भगदड़ में मरे या घायल लोगों के लिए वह स्वयं के दोषी हैं, क्योंकि उनकी भावना अच्छी नहीं थी जिसके कारण वे भगदड़ में दब गये। भगदड़ में मरने वालों की संख्या बताने में प्रशासन को घंटों लग गये जबकि करोड़ों की भीड़ को कुछ ही घंटे में प्रशासन बता देती है। योगी की बातों को आगे बढ़ाया जाए तो दिल्ली के प्लेटफार्म पर मरने वाले लोगों की नीयत और खराब होगी जो संगम तक नहीं पहुंच सके।
उस छात्र को क्या कहा जाए जो परीक्षा देने के लिए बंगलौर जा रहा था और दिल्ली के भगदड़ में उसकी मृत्यु हो जाती है तो उसके नीयत में खोट है या उस सरकार की नियत खोटी है जो भगदड़ का वीडियो और फोटो सोशल साईट से हटवा रही है? उस सरकार-प्रशासन को किया कहा जाय जो महाकुंभ में अमृत स्नान की घोषणा कर देती है और पर्याप्त व्यवस्था नहीं कर पाती है और ट्रेनें कई घंटे देर से चलाई जाती है। 17 फरवरी को केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को रिपोर्ट सौंप कर बताया कि पानी में फेकल कोलीफॉर्म (मल-मूत्र से उपजी गंदगी) की मात्रा 13 गुना ज्यादा है जिससे महाकुंभ का पानी नहाने योग्य और आचमन करने लायक नहीं है। मुख्यमंत्री योगी ने रिपोर्ट को खंडन करते हुए संगम के पानी को पीने योग्य बताया। योगी के इस बयान पर सिंगर और संगीतकार विशाल ददलानी ने इंस्टाग्राम पर योगी जी को चुनौती देते हुए लिखा कि आप कैमरे के सामने एक घूंट पानी पीकर दिखा दें। 29 जनवरी की रात विपक्षी दलों ने भगदड़ में मरने वालों की संख्या को भी छुपाने का आरोप सरकार पर लगाया। इसके जवाब में विधान सभा में बोलते हुए योगी ने कहा कि ‘‘समाजवादी और वामपंथियों की सनतान की सुंदरता कैसे नजर आएगी।’’

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