“संयुक्त राष्ट्र संघ चीन को घोषित करें अंतर्राष्ट्रीय अपराधी: किया जाना चाहिए दंडात्मक कार्यवाही”
विश्वव्यापी कोरोनावायरस ने सामाजिक आर्थिक स्वास्थ्य एवं राजनीति वैज्ञानिकों को मानसिक रूप से इस अमानवीय समस्या पर विचार करने तथा भविष्य के प्रति चिंता करने के लिए बाध्य कर दिया है। ऐसे में मैं राजनीति विज्ञान से जुड़ा होने के कारण इस आपदा काल की लगभग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घटित घटनाओं को सूक्ष्मता के साथ देखने समझने का प्रयास किया हूं और पाया कि केवल और केवल चीन ही एक ऐसा देश है जिसके कारण पूरा विश्व किंकर्तव्यविमूढ़ होकर मौत का तांडव अपने-अपने घरों (देशों) के आंगन में होता हुआ देख रहा है। ऐसे हालात में लगभग विश्व के सभी देशों की बोलती बंद है। क्योंकि सभी छोटे-बड़े विकसित अविकसित या विकासशील देश अपने नागरिकों की रक्षा में अपना नींद हराम किए हुए हैं। जो बातें मैं बोल रहा हूं शायद यह बात सभी के अंतः करण में दबा पड़ा है जो आज नहीं तो कल एक विस्फोटक रूप लेगा और एकमात्र जिम्मेवार चीन के विरुद्ध लामबंद होगा।
साम्यवादी चीन केवल मांसाहार ही नहीं बल्कि अमानवीय कृत्य व नरसंहार के लिए पूरी दुनिया में पहचान बना चुका है जिस चमगादड़ से कोरोना फैलने की बात की जा रही है। उसका मांस खाने के अलावा खून तथा सुप भी पीता है। चमगादड़ की जितनी प्रजातियां पाई जाती हैं उसका उपयोग वह अपने बुहान स्थित प्रयोगशाला में करता रहा है। चमगादड़ में लगभग 200 प्रकार के वायरस तथा सेंसर युक्त होने की बात की जाती है। जिससे रात के अंधेरे में भी उसे उड़ने की क्षमता प्राप्त है। चीन का प्रयोग इतना विनाशकारी होगा कभी विश्व ने सोचा भी नहीं था। यह तीसरा मौका है जब चीन ने इस प्रकार के महामारी को फैलाया है। जिसकी शुरुआत पहली बार 26 फरवरी 2003 को हुआ था जब केवल 843 मौतें हुई थी दूसरी बार 2012 में 858 मौतें तथा 2019 20 में तो एक विनाश लीला की नई कहानी लिख दिया चीन ने, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। किसी को भी अपराधी सिद्ध करने के लिए कुछ तथ्यों की आवश्यकता होती है।
जो इस प्रकार है:-
17 नवंबर 2019 को चीन के हुबेई (बुहान) में 55 वर्षीय व्यक्ति की मौत से प्रारंभ होकर 15 दिसंबर 2020 तक बुहान के सैकड़ों तथा 27 दिसंबर तक हजारों लोगों को प्रभावित करने वाला कोरोना 180 लोगों की जान ले चुका था लेकिन चीन ने 31 दिसंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन को सूचित किया। 4-5 हफ्ते बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सूचित करना संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित 24 घंटे में सूचित करने संबंधी कानून का चीन ने जानबूझकर उल्लंघन तो किया ही साथ ही भ्रामक सूचना देकर विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित विश्व को भ्रमित किया। 14 जनवरी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि यह संक्रमण इंसान से इंसान को नहीं होता है जैसा कि चीन ने सूचित किया होगा?
इस दौरान हजारों हजार लोग वहां से गुजरे और विश्व के कोने कोने में फैल गए विश्व के लगभग 500 बड़ी कंपनियों में 230 कंपनियां बुहान शहर में स्थित है। अनेकों देशों के लोग क्रिसमस की छुट्टी मनाने भ्रमण पर निकले थे तथा चीन के वुहान शहर से होते हुए वापस लौटे चीन ने अपने फ्लाइट्स बंद करने में भी काफी समय लिया तथा अपने देश के बड़े शहरों को सुरक्षित रखा। चीन का कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति भी प्रभावित नहीं हुआ ।लेकिन यह वायरस दुनिया के लगभग डेढ़ सौ देशों तक पहुंच चुका था।
चीन के पड़ोसी मुल्क ताइवान ने 31 दिसंबर को ही इस संक्रमण के बारे में दुनिया को आगाह कर दिया था। इतना ही नहीं चीनी डॉक्टर आई फैन ने जब चीन को बेनकाब किया तो उनके बयान को सोशल मीडिया से गायब कर दिया गया। इसके पूर्व डॉक्टर ली बेन लियांग को भी इसी कारण से मौत के घाट उतार दिया गया। लगभग इस प्रकार पांच ऐसे विशेषज्ञ डॉक्टर जो इस कुकृत्य को उचित नहीं मानते थे गायब हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के गैर जिम्मेदाराना बयान एवं कार्यवाही से पूरा विश्व स्तब्ध है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन पर भी अमेरिका सहित कई महत्वपूर्ण देशों ने सवाल खड़े कर दिए। जापान ने तो यहां तक कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का नाम बदलकर चीन स्वास्थ्य संगठन कर दिया जाए। इस तरह की परिस्थितियां अंतरराष्ट्रीय राजनीति के भावी भविष्य को स्पष्ट दर्शाने के लिए काफी है।
ऐसे अंतरराष्ट्रीय परिस्थिति में भारत की वसुधैव कुटुंबकम कि अपनी अवधारणा पर अग्रसर होकर असतो मां सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय के संदेश को विश्व पटल पर रखने की महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने की एक कड़ी चुनौती होगी। जो अवश्यमभावी है।
जय हिंद जय विश्व।
डॉ अखिलेश्वर शुक्ला
विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग,
राजा श्री कृष्ण दत स्नातकोत्तर महाविद्यालय जौनपुर,
उत्तर प्रदेश।
सम्पर्क:-9451336363