विशाल रस्तोगी लहरपुर, सीतापुर। हर चीज की अपनी अगल मर्यादा होती है अगर कोई व्यक्ति नियम कानून को ताख पर रखकर अपनी मार्यादा से आगे निकल जाता है तो उसको गुनाहगार कहा जाता है। इस बार जो मामला प्रकाश में आया है वह ब्लाक की ग्रामसभा दारानगर का है। यहां प्रधान और सचिव की जोड़ी अपने आपको बेताज बादशाह समझ रही है। यहां तक तक प्रधान और सचिव ने कल्याणकारी योजनाआं को अपनी जागीर का हिस्सा समझ लिया है कि जिसके जी चाहे योजना का लाभ देगें जिसको नही चाहेगा नही देगें।
पात्रो को योजनाओं का लाभ क्यो नही दिया जा रहा है। अगर पात्रो को रिश्वत देने का पैसा होता है तो गरीब क्येा होते है और योजना का लाभ कयो लेते है। प्रधान और सचिव द्वारा तो योजनाओं का लाभ अपात्रो को दिया जा रहा है। इस प्रकार की चर्चाएं ग्रामसभा क्षेत्र में सुनने को मिल रही है। अगर चर्चांए है तो इनमं कुछ न कुछ हकीकत तो जरूरी होगी और जो लोग झोपड़ी में रह रहे है वह अपनी अलग ही दास्तां बखान कर रहे है।
सब कुछ सामने है फिर भी सचिव और प्रधान को येाजनाओं को बंदरबांट करने की छूट दी जा रही है आखिर जनता की गाढ़ी कमाई कब तक इन अधिकारियों और प्रधानों की ऐश का जरिया बनती रहेगी। गौरतलब हो कि ब्लॉक लहरपुर अक्सर सुर्खियों में बने रहने का काम शुरुआत से ही करती चली आ रही लेकिन सुर्खियों का असर कितना होता है यह कह पाना मुश्किल है क्योंकि ग्राम पंचायतों में आया हुआ बजट आए दिन खाली हुआ करता है लेकिन ना जाने कौन सी निविदाओं में पैसों का खात्मा किया जा रहा है जबकि गांव के हालात जस के तस नजर आते हैं ग्राम पंचायतों में हुए कार्यों की समीक्षा यदि सही से की जाए तो आज भी बड़े पैमाने पर ग्राम पंचायतों में झुग्गी झोपड़ी में निवास करने वाले लोग मिल जाएंगे जबकि इतनी आवासों का आवंटन होने के बाद आज भी यदि ग्राम पंचायतों में इस तरीके की तस्वीर दिखाई देती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
विकासखंड लहरपुर की ग्राम पंचायत दारानगर मजरे रूढा भवनाथपुर निवासी अमलेश पुत्र नथाराम के मकान की तस्वीर कहीं ना कहीं विकासखंड लहरपुर की पोल खोलता हुआ नजर आ रहा है बड़े पैमाने पर आवासों का आवंटन होना यह सिद्ध करता है कि आज भी राजनीतिक तुष्टीकरण के चलते अमलेश जैसे लाभार्थी लाभ से वंचित रखे जाते हैं अमलेश के साथ-साथ बबलू पुत्र दीनबंधु, राम सहारे पुत्र नथ्थाराम प्यारे लाल पुत्र नथाराम प्रमोद कुमार पुत्र गया प्रसाद मुन्ना पुत्र गया प्रसाद, पप्पू पुत्र हीरालाल समेत एक दर्जन से ज्यादा लोग जो अनुसूचित जाति की श्रेणी मे आते वो लोग आज भी झुग्गी झोपड़ी में निवास कर अपना जीवन यापन कर रहे और उनका कहना है इस शायद ही कभी यह कच्चे मकान पक्के में तब्दील हो पाए।