इस चुनाव में किसके सिर पर होगा मल्हनी का ताज, क्या कहते हैं आंकड़ें..? | #TEJASTODAY
जौनपुर का नं. 1 न्यूज पोर्टल
इस चुनाव में किसके सिर पर होगा मल्हनी का ताज, क्या कहते हैं आंकड़ें..? | #TEJASTODAY
सचिन समर
जौनपुर। आगामी मल्हनी उपचुनाव के मद्देनजर यूपी के मुख्यमंत्री सहित आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों का दौरा मल्हनी विधानसभा क्षेत्र में अब तक हो चुका है। धूल से सने शहर में हर तीसरे दिन राजधानी से एक हेलिकॉप्टर पुलिस लाइन उतरता है। मल्हनी क्षेत्र में लगभग चार लाख मतदाता हैं जिसमें महिला और पुरुष का अनुपात लगभग समान है। पूर्व मंत्री और राजनीति के खिलाड़ी कहे जाने वाले समाजवादी पार्टी के नेता पारसनाथ यादव के देहांत के बाद यह सीट खाली हुई थी। कहा जाता है कि मल्हनी क्षेत्र में पारसनाथ यादव ने समाजवादी पार्टी की तरफ से कोई दूसरा नेता पैदा नहीं होने दिया, तभी आज सपा की ओर से जौनपुर में पारसनाथ यादव के मुकाबले कोई दूसरा नेता नहीं दिखता। अब उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र लकी यादव मैदान में है।
लकी यादव के राजनीतिक समझ कम होने के बावजूद उनकी जीत की दावेदारी इसलिए मजबूत मानी जा रही है क्योंकि जातिगत आकंड़ा उनके पक्ष में है। इसके पहले लकी यादव ने मड़ियाहूं से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें निर्दल श्रद्धा यादव से करारी शिकस्त मिली थी।
मल्हनी यादव बाहुल्य क्षेत्र कहा जाता है 2012 में परिसीमन के बाद दो बार चुनाव हुए जिसमें पारसनाथ यादव ने जीत दर्ज की, इसके बाद यह कहा जाने लगा कि क्षेत्र का परिसीमन भी राजनीतिक सूझ बूझ से किया गया है।
मल्हनी सीट के इतिहास के बारे में बात करें तो 1951 के पहले चुनाव में यह सीट जौनपुर दक्षिण के नाम से थी। यहां के पहले व अंतिम विधायक कांग्रेस पार्टी के दीप नारायण वर्मा रहे। 1957 में अस्तित्व में आई रारी विधानसभा क्षेत्र से पहले विधायक कांग्रेस पार्टी के ही राम लखन सिंह हुए। 1951 के बाद से अब तक सबसे ज्यादा छः बार कांग्रेस ने यहाँ अपना परचम लहराया है।
जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी के रूप में राज बहादुर यादव ने 1977 में जीत दर्ज की तो 1991 में मिर्जा जावेद रजा ने जनता दल के प्रत्याशी के तौर पर रारी सीट पर अपना कब्जा जमाया।
रारी से धनजंय सिंह निर्दल 2002 में, जदयू+भाजपा से 2007 में और 2009 में वे सांसद बनें, 2009 में सीट खाली होने के बाद उन्होंने अपने पिता राजदेव सिंह को बसपा से टिकट दिलवाया। वर्तमान में मल्हनी सीट पर कब्जा जमाने के लिए सत्ताधारी पार्टी ने पूरा जोर लगा दिया है जबकि इस सीट से सरकार बनने और बिगड़ने वाली नहीं है।
2014 में जब देश में भाजपा जीतकर आयी तो कहा जाने लगा कि प्रदेश में सरकार नहीं है इसलिए विकास नहीं हो पा रहा है, 2017 में भाजपा ने यूपी में बहुमत हासिल किया। अब मल्हनी में प्रचार के दौरान भाजपा नेता कहते हैं कि मल्हनी में भाजपा जीतेगी तभी विकास की गोमती बहेगी और यह सीट हर हाल में चाहिए, मुख्यमंत्री ने यह निर्देश जिम्मेदार अधिकारियों को भी दिया है। मल्हनी में जीत के समीकरण जाति के आधार पर बनने वाले हैं..!!
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