जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद

जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद

जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद,
शयनशैया से शेषशैया बिराजो हरि,
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद।
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद॥

जागो बैकुंठपति, जागो गरूड़ध्वज,
जागो कमलापते, जागो लक्ष्मीपते,
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद ।
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद॥

जागो त्रिलोकपति, जागो नारायण हरि,
सम्भालो ये तीनों लोक, मंगल करो हरि,
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद।
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद॥

आ गई तुम्हारे उठने की एकादशी,
कार्तिक शुक्ल की ग्यारहवीं तिथि,
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद।
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद॥

जब जागेंगे श्रीहरि, जागेगा सारा जग,
जब उठेंगे श्रीहरि, उट्ठेगा सारा जग,
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद ।
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद॥

बीता चौमासा, वर्षा विगत भई,
चारों दिशायें निर्मल धवल भईं,
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद ।
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद॥

आई शरद ऋतु, कुसुमित धरा भई,
पुष्प समर्पित, स्वीकारो श्री हरि,
जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद।
आदित्य जागो गोविंद हरि, जागो गोविंद।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
जनपद—लखनऊ

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