जनता चिल्लाती रही, अफसर चुप्पी साधे रहे और मिश्रिख नपाप करती रही घोटाला
जनता चिल्लाती रही, अफसर चुप्पी साधे रहे और मिश्रिख नपाप करती रही घोटाला
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। नगर पालिका परिषद मिश्रिख नैमिषारण्य में बड़े पेैमाने पर घोटाला किया जा रहा है। इसकी समय-समय पर शिकायतें होती रहीं और जांच हुई मामले को दबाया जाता रहा लेकिन कार्यवाही के नाम पर जिम्मेरदार मौन बैठे रहे। धीरे-धीरे करके यह घोटाला 40 लाख रूपये का हो गया। अब मामले ने तूल पकड़ा नगर पालिका परिषद के अधिकारियों के हाथ पांव फूल गये। जांच निष्पक्षता के साथ की गयी तो घोटाले की रकम बढ़ सकती है।
ऑडिट के दौरान प्रथम दृष्टया घोटाला पकड़ा गया है। डीएम अनुज सिंह के संज्ञान में जैसे ही मामला आया, उन्होंने जांच टीम गठित करके जांच के आदेश दे दिये हैं। नगर पालिका व पंचायतों में सरकारी धन का जमकर बंदरबांट किया जा रहा है। जिले की मिश्रिख नगर पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के नाम पर 40 लाख रुपये बिना किसी काम के निकाल लिए गए। हैरान करने वाली बात है कि ये पैसे नगर पालिका में कार्यरत एक कंप्यूटर आपरेटर के खाते में भेजे गए है। जब आडिट में 40 लाख का हिसाब नहीं मिला तो मामला पकड़ में आया। इसके बाद डीएम ने एसडीएम के नेतृत्व में जांच कमेटी का गठन किया है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद दोषियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। जिले के नैमिषारण्य धाम को मिलाकर बनाई गई मिश्रिख नगर पालिका परिषद में जमकर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है।
यहां 25 वार्ड में करीब 45 हजार की आबादी रहती है। नगर पालिका व नगर पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत काफी बजट आता है जिसको विकास कार्य से लेकर सफाई आदि में खर्च किया जाता है। मिश्रिख में स्वच्छ भारत मिशन अभियान के तहत खर्च करने के नाम पर बिना कोई काम किए 40 लाख रुपये निकाल लिए गए। जब ऑडिट में बात उजागर हुई तो हड़कंप मच गया। इसके बाद डीएम अनुज सिंह ने पूरे मामले की जांच एसडीएम मिश्रिख गौरव रंजन श्रीवास्तव को सौंपी है। नगर पालिका में ईओ की तैनाती न होने से एसडीएम के पास ही ईओ का प्रभार भी है। एसडीएम मिश्रिख ने बताया कि नगर पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत पैसों का घपला सामने आया है। पूरे मामले की फाइल तलब की गई है। जांच के बाद ही कुछ बताया जा सकेगा। नगर पालिका मिश्रिख में स्वच्छ भारत मिशन के तहत पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम) फंड से 11 बार में 40 लाख रुपये निकाले गए। ये पैसे एक जनवरी 2020 से लेकर एक मई 2021 के बीच निकले गए। मार्च 2022 में जब वित्तीय वर्ष के समापन मौके पर ऑडिट शुरू हुआ तो 40 लाख का हिसाब नहीं मिला।
इसके बाद इससे संबंधित फाइल तलब की गई तो फाइल भी नहीं मिली। फिर बैंक अफसरों से भी डीएम ने पूरे मामले की जानकारी ली कि पैसा किस डेट में किसके खाते में गया है। जब पूरा मामला सामने आया तो जांच शुरू हुई। 40 लाख रुपये नगर पालिका में ही तैनात एक कंप्यूटर आपरेटर के खाते में भेजे गए। खास बात रही कि चेक व आनलाइन तरीके से भुगतान हुआ। इस भुगतान में तत्कालीन ईओ व नगर पालिकाध्यक्ष के भी हस्ताक्षर बने मिले हैं। अब जांच के बाद ही पता लग सकेगा कि यह हस्ताक्षर सही हैं या फिर फर्जी। कंप्यूटर आपरेटर के खातों की जब जांच हुई तो सारा पैसा पहले ही निकाला जा चुका था। ऐसे में इस पैसे की भरपाई कैसे होती, यह आने वाला समय ही बताएगा।
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