रस्सी का सांप बनाने वाले थानेदार को कप्तान कार्यालय से दी गई चेतावनी

रस्सी का सांप बनाने वाले थानेदार को कप्तान कार्यालय से दी गई चेतावनी

विशाल रस्तोगी
सीतापुर। रस्सी का सांप कैसे बनता है? सुसंगत धाराओ के नाम पर घटना क्रम को कैसे तोड़ा और मरोड़ा जाता है अगर थानेदार का सपोर्ट मिल जाये तो तहरीर से कातिलाना हमले की धारा कैसे उड़ाई जाती है और संगीन धारा को एनसीआर में कैसे तब्दील किया जाता है इसकी जानकारी रामपुर मथुरा थानेदार से बेहतर और कोई दे ही नही सकता? अगर किसी को यकीन न हो तो वह रामपुर मथुरा थाना क्षेत्र के ग्राम भागीपुर की घटना को देख ले। क्या कभी तस्वीरे भी भला झूठ बोल सकती है तस्वीरे तो वही कहती है जो देखती है।

तस्वीर ही साक्ष्य बनी है अपनी आबरू बचाने के लिये महिला किस तरह से दबंगो का विरोध किया और दबंगों को धारहथियार तथा अन्य अस़्त्रो के साथ लैश होकर किस तरह से महिला के सर पर के बाद एक वार किये और महिला को लहू लुहान कर दिया। महिला घण्टो बेहोश पड़ी रही उसको रामपुर मथुरा के सरकारी अस्पताल में रेफर किया गया महिला की हालत काफी नाजुक थी। महिला की स्थित को देखते हुए महिला के सर का एक्सरे भी कराया गया और यह पता लगाने की कोशि की गयी कहीं हेड इंजरी हडडी तक तो नही पहुंच गयी है। इसके बाद भी रामपुर मथुरा थानेदार को महिला की हालत का अंदाजा ही नही लगा है और पूरे घटना को क्रम को तोड़ मरोड़ कर एनसीआर में दर्ज कर दिया जबकि तहरीर में चोट की स्थित और घटना का कारण छेड़ छाड़ लिखा हुआ था। यहां पर रामपुर मथुरा थानेदार की सुसंगत धाराओं में दर्ज किये गये केस की दाद देनी होगी घटना का कारण छेड़छाड़ और दर्ज किये गये मुकदमें से छेड़छाड़ की धारा ही गायब हो गयी।

महिला घण्टो बेहोश रही जिला अस्पताल में भर्ती हुई हालत की गम्भीरता को देखते हुए रामपुर मथुरा से महिला को सीतापुर के जिला अस्पताल में रेफर किया गया इसके बाद भी थानाध्यक्ष को महिला की चोटे नही दिखाई दी और केस केवल एनसीआर में दर्ज किया गया। जब इस संवाददाता ने रामपुर मथुरा थानेदार से उनका पक्ष लिया तो कहा कि मैने कानून के हिसाब से कार्य किया है जब पूछा गया कि घटना का कारण छेड़ छाड़ है औरे केस से छेड़छाड़ की धारा ही गायब है यह कैसा केस है क्रीमनल वकील से लेकर हाईकोर्ट के वकीलों से तहरीर और एफआई आर में दर्ज धाराएं दिखाई गयी वह तो कुछ और बता रहे है इस प्रश्न का जवाब दिये बिना ही रामपुर मथुरा थानाध्यक्ष ने फोन काट दिया।

इसके बाद पीड़ित ने डीआईजी कार्यलय सम्पर्क किया वहां पूरी बात बतायी दी गयी तहरीर व दर्ज की गयी एफाआई आर के बारे बात की तब वहां से कहा गया कि ऐसा हो ही नही सकता है तहरीर के आधार पर ही केस दर्ज किया जाता है और धाराएं तहरीर से ही निकलती है फिर डीआईजी को उनके वाटसअप पर तहरीर और एफाआईआर की प्रति भेजी कर हकीकत से अवगत कराया गया। इससे पहले मामला पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में गया। पुलिस अधीक्षक के कार्यालय से भी रामपुर मथुरा थानेदार को फोन गया और उनको चेतावनी दी गयी। कारण कुछ भी हो लेकिन कहा तो यही जा रहा है कि रामपुर मथुरा थानेदार ने आरोपियों का खुला साथ दे रहे है क्योकि जो दिखाई दे रहा है उसको जनरंदाज भी तो नहीं किया जा सकता है।

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