नफरत के एजेण्डे में खोता सच: मीडिया की झूठी खबरों का खतरनाक जाल

नफरत के एजेण्डे में खोता सच: मीडिया की झूठी खबरों का खतरनाक जाल

आनन्द देव
गुजरात के सूरत शहर से एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें भगवा वस्त्र पहने कुछ साधुओं से पूछताछ की जा रही थी। वीडियो में एक व्यक्ति साधुओं से यह सवाल करता है कि उन्हें कितने हिंदू देवी-देवताओं के नाम याद हैं। जैसे ही साधु भगवान शिव का नाम लेते हैं, उनसे एक के बाद एक और देवी देवता के नाम पूछे जाते हैं। जब साधु अधिक नाम नहीं गिना पाते तो उनकी जेब से आईडी कार्ड निकाला जाता है और दावा किया जाता है कि ये लोग मुसलमान हैं जो साधु के भेष में भीख मांग रहे हैं। इस तरह से नाम के आधार पर उन्हें ‘सलमान’ और उनके साथियों को शक की निगाह से देखा गया।
इस छोटे से वीडियो ने मानो नफरत की चिंगारी को हवा दे दी। इस वीडियो के आधार पर एक अखबार ने शीर्षक दिया: “साधु का वेश धारण कर मुसलमान भीख मांग रहे हैं,” और दूसरे न्यूज़ चैनल ने इसे ‘जिहादी गैंग’ का नाम दे डाला। सोशल मीडिया पर यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, व्हाट्सएप हर जगह यह चर्चा छिड़ गई कि भगवा पहनकर सलमान और उसके साथी लोगों को धोखा दे रहे हैं। बगैर किसी जांच-पड़ताल के लोग इसे शेयर करने लगे और तमाम टीवी चैनल्स व डिजिटल मीडिया इसे जोर-शोर से चलाने लगे।
जैसे ही आल्ट न्यूज़ ने इस घटना का फैक्ट-चेक किया, सच्चाई सामने आई। जिन व्यक्तियों को मुसलमान बताया गया, वे वास्तव में हिंदू समुदाय से थे, और जिनका नाम ‘सलमान’ बताया जा रहा था, उनका असली नाम ‘सलमन नाथ परमार’ था जो हिंदू राजपूत समाज से आते हैं। स्थानीय पुलिस अधिकारी इंस्पेक्टर आरबी गोजिया ने भी अपनी जांच में पुष्टि की कि यह लोग हिंदू थे और जूनागढ़ से आए थे। यह सच सामने आने के बाद भी सच्चाई का प्रसार उस तेज़ी से नहीं हुआ जिस तेज़ी से झूठी खबर फैलाई गई थी।
यहां सोचने वाली बात यह है कि ऐसे मीडिया चैनल, जिन्हें देश का चौथा स्तंभ कहा जाता है, उनसे समाज को कुछ सच की उम्मीद होती है लेकिन अब यह सवाल उठता है कि क्या मीडिया का एक हिस्सा जानबूझकर नफ़रत का एजेंडा चला रहा है? क्या किसी भी खबर को बिना तथ्यों की जांच किए महज सनसनीखेज बनाकर दिखाना सही है? ऐसी झूठी खबरों से समाज में फूट और घृणा का बीज बोया जाता है जो हमारे देश के लिए घातक साबित हो सकता है।
आज हमें जागरूक नागरिक बनने की ज़रूरत है। किसी भी खबर पर आँख बंद करके यकीन करना खतरनाक हो सकता है। सोशल मीडिया के इस युग में हम सभी पर यह जिम्मेदारी है कि किसी भी खबर को शेयर करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें। ऐसे न्यूज स्रोतों से सावधान रहें जो अपनी रिपोर्टिंग में नफरत को जगह देते हैं। हमारे राष्ट्र की एकता, भाईचारे और अखंडता को बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि हम सचेत रहें और ऐसी खबरों को आँख मूँद कर न अपनाएं।
यह कहानी साधुओं के वेश में घूम रहे ‘सलमान’ की नहीं, बल्कि उन एजेंडाधारियों की है जो बिना किसी जिम्मेदारी के झूठी कहानियां गढ़ते हैं और उसे समाज के सामने ऐसे परोसते हैं कि लोग आसानी से उनके झांसे में आ जाते हैं। हमें यह समझना होगा कि ऐसे झूठे समाचार सिर्फ नफरत बढ़ाने का काम करते हैं। हम सबको मिलकर नफरत और फूट के इस कुचक्र को तोड़ना होगा, ताकि हमारा समाज सच में एकजुट और मजबूत बन सके।

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