तेजस टूडे ब्यूरो
रविन्द्र कुुमार
उरई (जालौन)। डकोर थाना क्षेत्र ग्राम जैसारीकला निवासी राहुल पुत्र सन्तोष सोनी नहर पर कपड़े घो रहा था तभी मंगल नाई पुत्र मठोले आ धमका और राहुल को गाली-गलौज करने लगा जबकि राहुल गाली-गलौज करने को मना किया तो आग बबूला हो गया। हाथ में लिए कुल्हाड़ी सर में मार दी जिससे वह लुहूलुहान बेहोश होकर जमीन पर गिर गया तभी गांव को लोगों ने देखा तो दौड़कर उसको उठाकर समुदाय केन्द्र डकोर ले गये जहां डॉक्टरों ने जिला अस्पताल उरई के लिए रिफर कर दिया जिसकी हालत गंभीर बनी हुई है और इलाज जारी है। डकोर थाने में पीड़ित ने शिकायत की तो कोई सुनवाई नहीं हो रही है और दबंग खुलेआम घूम रहा है।
… ताकि कोई ‘बालिका’ न बने ‘वधू’
बलहा में हुई ब्लाक समन्वय समिति की पहली बैठक
लिंग, भेदभाव और बाल विवाह पर जतायी गयी चिन्ता
तेजस टूडे ब्यूरो
अब्दुल शाहिद
बहराइच। मोबियस फाउंडेशन, स्वास्थ्य विभाग और उम्मीद परियोजना के संयुक्त तत्वावधान में ब्लॉक समन्वय समिति की पहली बैठक शुक्रवार को बलहा ब्लॉक में हुई जिसकी अध्यक्षता खंड विकास अधिकारी अपर्णा ने किया। बैठक में बाल विवाह, जेंडर भेदभाव, किशोर-किशोरियों की शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा की गई। इस पहल में शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग, राष्ट्रीय आजीविका मिशन, नेहरू युवा केंद्र, एनसीसी समेत कई संस्थाओं ने भाग लिया।
इस मौके पर खंड विकास अधिकारी अपर्णा ने कहा, “बाल विवाह और लिंग भेदभाव हमारे समाज में गहरे तक जड़ें जमाए हुए हैं। “आज भी कई परिवार बेटों की पढ़ाई पर ध्यान देते हैं जबकि बेटियों की उच्च शिक्षा को अनदेखा किया जाता है। यह असमानता केवल शिक्षा और रोजगार तक सीमित नहीं है, बल्कि लड़कियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालती है। कुपोषण और एनीमिया जैसी समस्याएं अधिकतर किशोरियों में देखी जाती हैं, क्योंकि उनके पोषण पर कम ध्यान दिया जाता है।” खंड विकास अधिकारी ने शिक्षकों, युवा संगठनों और ग्रामीण समुदाय से अपील की कि वे इस बदलाव का हिस्सा बनें और जागरूकता बढ़ाने के लिए मिलकर काम करें।
उम्मीद परियोजना (पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया) के राज्य प्रतिनिधि बी.के. जैन ने आंकड़ों के माध्यम से बाल विवाह की भयावह स्थिति पर रोशनी डाली। साथ ही बताया कि “बहराइच में बाल विवाह की दर 37% है, जो राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। वहीँ “18 साल से कम उम्र में मां बनने वाली किशोरियों की संख्या भी चिंताजनक है। कम उम्र में गर्भधारण से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है। सामाजिक बदलाव तुरंत नहीं आता लेकिन निरंतर प्रयास से सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलेंगे।”
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बाल विवाह से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर प्रभाव
सीएचसी बलहा के अधीक्षक डॉ. निखिल ने बताया कि कम उम्र में शादी और गर्भधारण किशोरियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। उन्होंने कहा,”किशोर अवस्था में गर्भधारण से जटिल प्रसव, शिशु मृत्यु दर और मातृ स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुपोषण और एनीमिया की संभावना अधिक हो जाती है, जिससे मां और नवजात दोनों की जान को खतरा रहता है। हमें इसे रोकने के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों स्तरों पर काम करना होगा।”
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शिक्षा से जागरूकता की पहल
बैठक में सादात इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य ने कहा कि अप्रैल में विद्यालय खुलने के बाद एक बड़ा जागरूकता कार्यक्रम किया जाएगा जिसमें पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया और स्वास्थ्य विभाग का सहयोग लिया जाएगा। बैठक में स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस, ब्लॉक आजीविका मिशन, नेहरू युवा केंद्र, स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षकगण सहित अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने बाल विवाह और लिंग भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया।
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