शिक्षक समस्याओं को लेकर पूर्व माध्यमिक गुरूजनों की महानिदेशक से हुई वार्ता
शिक्षक समस्याओं को लेकर पूर्व माध्यमिक गुरूजनों की महानिदेशक से हुई वार्ता
शुभम जायसवाल
लखनऊ। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल (पूर्व माध्यमिक) शिक्षक संघ के महामंत्री सत्य प्रकाश मिश्र की अगुवाई में संघ के प्रतिनिधियों ने महानिदेशक से मिलकर विभिन्न शिक्षक समस्याओं पर वार्ता की जिनमें अध्यापक के निजी धन व संसाधन से गैर शैक्षणिक कार्य (डीबीटी) कराए जाने का विरोध करते हुए कहा गया कि यह कार्य प्रत्येक विभाग में कम्प्यूटर, इंटरनेट, कम्प्यूटर आपरेटर की उपलब्धता के साथ कराया जाता है जबकि शिक्षकों से बिना संसाधन यह कार्य करने का दबाव बनाया जा रहा है जो अनुचित है। इसके साथ ही लंबे समय से परिषदीय विद्यालयों में पदोन्नति नहीं हुई है। जूनियर हाईस्कूल में प्रधानाध्यापक के लगभग 80 प्रतिशत पद रिक्त है जो बिना इंक्रीमेंट सहित अन्य सुविधा प्रदान किये सहायक अध्यापकों से कराया जा रहा है। ऐसे में 30 सितम्बर की छात्र संख्या के अनुसार पद निर्धारित करते हुए शीघ्र पदोन्नति करने की मांग की गई।
सरकार द्वारा विद्यालय प्रबंध समिति व मध्याह्न भोजन खाता स्टेट बैंक में खोलने का आदेश किया गया है जबकि ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों से स्टेट बैंक की दूरी काफी ज्यादा है। अतः वहां आना-जाना धन व समय का अपव्यय होगा। इसके साथ ही सरकार द्वारा एक अन्य आदेश जारी कर कहा गया है कि बैंक से सम्बंधित कार्य विद्यालय अवधि के बाद ही संपादित किये जायं। इस प्रकार अध्यापक कब व कैसे इन दूरस्थ शाखाओं तक पहुँचेगा। अतः इन खातों को पूर्ववत जारी रखने की मांग की गई। वर्तमान में 2014 के पश्चात नियुक्त अध्यापकों का बीमा करने से बीमा कंपनी द्वारा इनकार कर दिया गया है तथा ऐसे अध्यापकों की मृत्यु की दशा में दावा भी नहीं स्वीकार किया जा रहा है जबकि विभाग द्वारा आज भी बीमा हेतु प्रतिमाह 87 रुपये ऐसे अध्यापकों के वेतन से काटा जा रहा है। ऐसे में वर्तमान में 2014 के बाद नियुक्त ऐसे अध्यापकों के साथ ही पूर्व नियुक्त अध्यापको की बीमा राशि बढ़ाकर किस्त की कटौती करने की मांग की गई।
राज्य कर्मचारियों को वर्ष में 30 दिन का मिलता है जिसे वह अपनी आवश्यकतानुसार कभी भी ले सकते हैं। इसके साथ ही 14 दिन का आकस्मिक अवकाश भी देय है जबकि अध्यापकों को 40 दिन का ग्रीष्मावकाश दिया जाता है जो विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों यथा, शादी-विवाह, माता-पिता के अंतिम संस्कार, विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में उपयोग नहीं हो पाता। साथ ही वर्तमान में काफी बड़ी संख्या में अध्यापकों की नियुक्ति दूरस्थ जनपदों में हुई है। अतः वे अपने घर आवश्यकतानुसार नहीं पहंुच पाते। ऐसी स्थिति में अध्यापकों को भी राज्यकर्मियों की भांति प्रदान करने की मांग की गई। महानिदेशक द्वारा उपरोक्त समस्याओं के शीघ्र निस्तारण का आश्वासन दिया गया। इस अवसर पर प्रांतीय मंत्री अरुणेंद्र वर्मा, प्रांतीय संयुक्त मंत्री आदित्य नारायण मिश्र, लखनऊ से सुरेश जायसवाल, सीतापुर से सुरेश चंद्र मिश्र, विनोद कुमार मौजूद रहे।