कड़ाके की ठण्ड में नवजात का रखें विशेष ख्याल: डा. मंजुला

कड़ाके की ठण्ड में नवजात का रखें विशेष ख्याल: डा. मंजुला

कोल्ड डायरिया, निमोनिया, बुखार, गले में संक्रमण का होता है खतरा
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। शीतलहर ने आम जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर रखा है। इस मौसम में स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही परेशानी का सबब बन सकती है| खासकर नवजात और पांच वर्ष तक के बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है| यह कहना है जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य अधीक्षिक डॉ. मंजुला सिंह का| उन्होंने बताया कि कड़ाके की ठंड के बीच बच्चों में सर्दी, खांसी और बुखार का असर देखने को मिल रहा है|

बच्चे तेजी से निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं| निमोनिया के साथ ही बच्चों में ठंड के कारण कोल्ड डायरिया (दस्त) के भी लक्षण देखे जा रहे हैं| निमोनिया का संक्रमण ठंड बढ़ने से शिशुओं में जकड़न, बुखार, ब्रोंकाइटिस (गले में संक्रमण) की संभावना बढ़ जा रही है| ऐसे में बचाव के लिए नवजात को गर्म कपड़े पहनाने के साथ ही उनका विशेष ख्याल रखना चाहिए|

डॉ सिंह ने कहा कि शिशुओं को पहले सर्दी, जुकाम, गले में खरास आदि होने के एक दिन बाद आवाज के साथ सांस का तेज गति के चलना, नाक का फड़फड़ाना, बदन का नीला पड़ना, शरीर व पेट में दर्द होना, बैचेनी होना, शरीर में जकड़न आना आदि लक्षण दिखाई देता है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें|

जिला महिला चिकित्सालय के बालरो ग विशेषज्ञ डॉ शैलेश सुमन ने बताया कि जिन नवजातों की यह पहली सर्दी है उनके अभिभावकों को खास एहतियात बरतने की जरूरत है| जैसे बच्चे को टोपी, दस्ताने, मोजे पहनाकर रखना बेहद जरूरी है| नवजात शिशु में गर्म होने की क्षमता कम होती है, क्योंकि इनमे वसा की मात्रा कम होती हैं| ऐसे में कमरे का तापमान 20-30 डिग्री रखे लेकिन ध्यान रहे कि इसमें घुटन न होने पाये| शिशु के तापमान को सामान्य बनाए रखने में कंगारू मदर केयर विधि बहुत ही कारगर उपाय है|

डा. शैलेश कुमार ने बताया कि जैसे कंगारु अपने से बच्चे को गर्माहट देकर उसकी आधी तकलीफें दूर करता है, ठीक वैसे ही मां अपने नवजात को अपनी छाती से चिपकाकर उसे गर्माहट दे| इससे बच्चे का तापमान सामान्य रहता है और कई समस्याएं खुद ही हल हो जाती हैं| यह विधि घर का कोई भी व्यस्क कर सकता है और 28 दिन लगातार करने पर यह बहुत कारगर साबित होता है| इस विधि को दिन में पाँच से छह बार 30 मिनट के लिए किया जा सकता है| निमोनिया से बचाव के लिए नवजात शिशु और बच्चों को चार परत के गर्म कपड़े पहनाएं| बच्चों के हाथों में दस्ताने, पैरों में मोजे और कानों को हमेशा ढ़ककर रखें।

बच्चों को उल्टी, दस्त व बुखार होने पर बिना समय गवाएं अपने नजदीकी अस्पताल में जाकर चिकित्सक या विशेषज्ञ को दिखाएं जिससे निमोनिया है या नहीं इसका पता चल सके| साथ ही निमोनिया से बचाव के लिए टीका भी लगवाएं| ठंड के मौसम में खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है| छह माह तक बच्चे को सिर्फ स्तनपान कराएं, क्योंकि मां का दूध शिशु की सभी जरूरतों को पूरा करता है| इस दौरान बच्चे को कुछ भी बाहर का न खिलाएं| इससे संक्रमण का खतरा रहता है| मां को खांसी-जुकाम हो तो मास्क लगा कर ही बच्चे को स्तनपान कराए।

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