बाल देख रेख एवं विकास पर राज्य स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न
बाल देख रेख एवं विकास पर राज्य स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न
लखनऊ। उत्तर प्रदेश फोर्सेस का एक दिवसीय बाल देखरेख एवं राज्य स्तरीय कार्यशाला फैजाबाद रोड स्थित एक होटल में आयोजित की गई। इस कार्यशाला में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों मैं बच्चों के मुद्दों पर कार्य करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में आए प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उत्तर प्रदेश फोर्सेस के राज्य समन्वयक रामायण यादव ने बताया कि बच्चों के मुद्दों पर सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है किंतु धरातल पर आशातीत सफलता देखने को नहीं मिल रहा है। सरकारी योजनाओं को एक समय सीमा में बांध कर क्रियान्वयन करना महत्वपूर्ण कदम होगा।
जिसमें नेशनल फोर्सेस दिल्ली से आई चिराश्री घोष ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बाल अधिकार उनके हनन और नीतिगत व्यवस्थाओं पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बच्चों के मुद्दों पर शासन प्रशासन को अपनी नीतियों को और धारदार बनाने की आवश्यकता है। इस कार्यशाला में राज्य सरकार की आईसीडीएस योजनाओं, आगनवाड़ी की स्थिति और शून्य से 6 वर्ष के आयु के बच्चो के सर्वांगीण विकास में कैसे और बेहतर सुधार हो सकता है और इसका एक आदर्श मॉडल तैयार किया जा सकता है साथ ही बच्चो के लिए राज्य में एक मॉडल क्रैश बनाने और नीतिगत रूप से सरकार की योजनाओं में शामिल करने पर परिचर्चा हुई।
सेव दी चिल्ड्रन के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अनामुल हक़ ने सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों के संदर्भ में बताया कि महिला श्रमिकों के उच्च प्रतिशत को मातृत्व लाभ या बाल देखभाल सुविधाओं से वंचित होना अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावित करती है। इस दिशा में कार्य करने कि आवश्यकता है।
राजदेव चतुर्वेदी ने बताया कि बाल देखभाल का मुद्दा हमेशा चिंता का एक प्रमुख मुद्दा बनकर उभरा है लेकिन बाल देखभाल से संबंधित मुद्दे समय के साथ एक जैसे नहीं रहे। इसके कारण रहे हैं परिवार की स्थापना, भूमिका संबंध, काम के दबाव और परिवार में देखभाल करने वालों के समय की मांग, जो कि महिलाएं हैं, खासकर 1990 के दशक के बाद से जब उदारीकरण की नीतियों की शुरुआत हुई थी, तब से सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन हो रहे हैं।
इस मौके पर विभिन्न बाल अधिकारों और उनकी नीतिगत योजनाओं के साथ कार्य कर रही स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों अपना विचार रखा जिसमे नेशनल फोर्सेज के भूपेंद्र सांडिल्य, चित्रकूट विश्वविद्यालय के डॉ बी एस सिंह, विज्ञान फाउंडेशन के संदीप खरे, अवधेश यादव, सुश्री प्रीती राय, संध्या मिश्रा, बी. पी.पाण्डेय,आर के वर्मा, पुष्प पाल आदि प्रमुख है।
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