श्रीमद्भागवत कथा: श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह का प्रसंग सुन श्रोता हुये भाव—विभोर

श्रीमद्भागवत कथा: श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह का प्रसंग सुन श्रोता हुये भाव—विभोर

तेजस टूडे ब्यूरो
संदीप सिंह
प्रतापगढ़। कोहड़ौर क्षेत्र के नरहरपुर गांव में ग्रामवासियों के संयोजन में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के 6ठें दिन कथाव्यास श्री मोहित जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मिणी के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। कथावाचक ने गोपियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण की श्रेष्ठतम रासलीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का पारब्रह्म ईश्वर के साथ मिलन की कथा है। आस्था और विश्वास के साथ जब भगवत प्राप्ति का फल प्राप्त होता है तो उसे रास कहा जाता है। कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया। कथा पंडाल में जिला पंचायत सदस्य मंगरौरा इन्द्रदेव तिवारी, जितेन्द्र बिहारी पाण्डेय, पप्पू तिवारी, रंग बहादुर सिंह, ओम प्रकाश पाण्डेय, राजन सिंह, रामकिशोर मिश्र, ज्ञान सिंह, शम्भू सिंह, राम नारायण मिश्र, कपिल सिंह, दिनेश दूबे, दीपक सिंह, सन्तोष सिंह, नीरज सिंह समेत क्षेत्र के काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

 

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