इस देश के वैज्ञानिकों का दावा: बन गई कोरोना की वैक्सीन, जानिए….

कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर जहां पूरी दुनिया में रिसर्च चल रहा है। अलग-अलग देश यह दावा कर रहे हैं कि उनके यहां वैक्सीन बन रही है। वहीं अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा दावा किया जा रहा है कि उनकी वैक्सीन ने उस स्तर की ताकत हासिल कर ली है जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण को मजबूती से रोका जा सके। बता दें कि पूरी दुनिया भर के वैज्ञानिक इस घातक बीमारी की दवा खोजने में लगे हैं। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया में अब तक 47 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 10 लाख से अधिक लोग बीमार हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने कहा है कि वे बाकी देशों की तुलना में बहुत जल्द कोविड-19 कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित कर चुके हैं। इस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जो वैक्सीन बनाई है उसके लिए इन लोगों ने सार्स (SARS) और मर्स (MERS) के कोरोना वायरस को आधार बनाया था। एसोसिएट प्रोफेसर आंद्रिया गमबोट्टो ने बताया कि ये दोनों सार्स और मर्स के वायरस नए वाले कोरोना वायरस यानी कोविड-19 से बहुत हद तक मिलते हैं। इससे हमें ये सीखने को मिला है कि इन तीनों के स्पाइक प्रोटीन (वायरस की बाहरी परत) को भेदना बेहद जरूरी है ताकि इंसानों को इस वायरस से मुक्ति मिल सके। उन्हानें कहा कि हमनें पता कर लिया है कि वायरस को कैसे मारना है। उसे कैसे हराना है। हमने अपनी वैक्सीन को चूहे पर आजमा कर देखा और इसके परिणाम बेहद पॉजिटिव रहे। हमनें इस वैक्सीन का नाम पिटगोवैक (PittGoVacc) रखा है। कोविड-19 को रोकने के लिए जितने एंटीबॉडीज की जरूरत शरीर में चाहिए उतनी पिटगोवैक वैक्सीन पूरी कर रहा है। हम बहुत जल्द इसका परीक्षण इंसानों पर शुरू करेंगे। यह वैक्सीन इंजेक्शन जैसी नहीं है। यह एक चौकोर पैच जैसी है जो शरीर के किसी भी स्थान पर चिपका दी जाती है। हालांकि गमबोट्टो की टीम ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस एंटीबॉडी का असर चूहे के शरीर में कितनी देर रहेगा। लेकिन टीम ने कहा कि हमने पिछले साल मर्स (MERS) वायरस के लिए वैक्सीन बनाई थी जो बेहद सफल रही।

कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर जहां पूरी दुनिया में रिसर्च चल रहा है। अलग-अलग देश यह दावा कर रहे हैं कि उनके यहां वैक्सीन बन रही है। वहीं अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा दावा किया जा रहा है कि उनकी वैक्सीन ने उस स्तर की ताकत हासिल कर ली है जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण को मजबूती से रोका जा सके।

बता दें कि पूरी दुनिया भर के वैज्ञानिक इस घातक बीमारी की दवा खोजने में लगे हैं। कोरोना वायरस की वजह से दुनिया में अब तक 47 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 10 लाख से अधिक लोग बीमार हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने कहा है कि वे बाकी देशों की तुलना में बहुत जल्द कोविड-19 कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित कर चुके हैं। इस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने जो वैक्सीन बनाई है उसके लिए इन लोगों ने सार्स (SARS) और मर्स (MERS) के कोरोना वायरस को आधार बनाया था।

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एसोसिएट प्रोफेसर आंद्रिया गमबोट्टो ने बताया कि ये दोनों सार्स और मर्स के वायरस नए वाले कोरोना वायरस यानी कोविड-19 से बहुत हद तक मिलते हैं। इससे हमें ये सीखने को मिला है कि इन तीनों के स्पाइक प्रोटीन (वायरस की बाहरी परत) को भेदना बेहद जरूरी है ताकि इंसानों को इस वायरस से मुक्ति मिल सके। उन्हानें कहा कि हमनें पता कर लिया है कि वायरस को कैसे मारना है। उसे कैसे हराना है। हमने अपनी वैक्सीन को चूहे पर आजमा कर देखा और इसके परिणाम बेहद पॉजिटिव रहे। हमनें इस वैक्सीन का नाम पिटगोवैक (PittGoVacc) रखा है।

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कोविड-19 को रोकने के लिए जितने एंटीबॉडीज की जरूरत शरीर में चाहिए उतनी पिटगोवैक वैक्सीन पूरी कर रहा है। हम बहुत जल्द इसका परीक्षण इंसानों पर शुरू करेंगे। यह वैक्सीन इंजेक्शन जैसी नहीं है। यह एक चौकोर पैच जैसी है जो शरीर के किसी भी स्थान पर चिपका दी जाती है। हालांकि गमबोट्टो की टीम ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस एंटीबॉडी का असर चूहे के शरीर में कितनी देर रहेगा। लेकिन टीम ने कहा कि हमने पिछले साल मर्स (MERS) वायरस के लिए वैक्सीन बनाई थी जो बेहद सफल रही।

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