खतरे के निशान को पार कर गयी सरयू नदी | #TEJASTODAY
खतरे के निशान को पार कर गयी सरयू नदी | #TEJASTODAY
विशाल रस्तोगी
सीतापुर। सरयू नदी का जलस्तर 119.10 मीटर दर्ज किया गया, जो पहले की अपेक्षा 20 सेमी. कम है। हालांकि सरयू नदी अभी भी खतरे के निशान से 10 सेमी. ऊपर बह रही है। कटान तेज हो गई। रामपुर मथुरा क्षेत्र में 30 मकान कटान की भेंट चढ़ गए, जबकि छह पक्के मकान कटान की कगार पर हैं। बाढ़ग्रस्त गांवों में अभी पानी भरा हुआ है। जलस्तर घटने से पानी कम होने लगा है। इसके बावजूद समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
सड़क पर डेरा डाले व अन्य बाढ़ पीड़ितों के सामने रहने व खाने का संकट है। प्रशासनिक मदद ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। वहीं, मंगलवार को बैराजों से लगभग साढ़े तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। ब्लॉक रेउसा के 55 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। सैकड़ों परिवार गांव से पलायन कर सड़कों पर शरण लिए हुए हैं। हालांकि सरयू नदी का जलस्तर पहले की अपेक्षा घटा है, लेकिन बाढ़ पीड़ितों की समस्याएं कम नहीं हो रही हैं। म्योडीछोल्हा से ताहपुर जाने वाली सड़क कट जाने से छह गांवों का आवागमन बाधित है।
श्रीरामपुरवा की चमेली व सुरेश ने बताया कि घरों में अभी पानी भरा है। इसलिए खाना बनाने और उठने-बैठने तथा सोने की समस्या है। अधिकतर लोगों ने गांव के बाहर सड़क पर शरण ले रखी है। प्रशासन जो लंच पैकेट देता है, उसमें चार या पांच पूड़ी होती हैं। पैकेट भी परिवार के सभी सदस्यों को मिल नहीं पाता है। ऐसे में पेट भरना भला कैसे मुमकिन होगा। भदिम्मरपुरवा के सुंदर, चंदर व श्रीपाल आदि ने बताया कि गांव में अभी भी पानी भरा है। दूसरी तरफ रामपुर मथुरा इलाके में भी बाढ़ प्रभावित 40 गांवों के हालात अभी बदतर हैं।
शुकुलपुरवा की सुनीता और अनीता ने बताया कि घर में पानी भरा होने से ट्रैक्टर पर बैठकर किसी तरह समय बिता रहे हैं। शत्रोहन के अनुसार दो दिनों से उसके घर में राशन नहीं है। प्रशासन बंधे पर शरण लिए लोगों तक ही लंच पैकेट पहुंचाता है। परमगोंडा निवासी प्रेमचंद्र, रूप चंद्र, ननकू, लक्ष्मी नारायण, राम सहारे ,जसवंत आदि के पक्के मकान कटने की कगार पर पहुंच गए हैं। इसी गांव के विश्राम, सुनील , लवकुश, बलवंत, वीर सिंह, हरीचंद, छबीले, कल्लू, देशराज, रामविजय समेत 30 लोगों के मकान नदी में समा गए हैं।
एसडीएम महमूदाबाद गिरीश झा ने बताया कि कुछ गांवों तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। शारदा नदी का जलस्तर स्थिर होने के बावजूद उससे बाहर निकला पानी तटवर्ती गांवों में फैला हुआ है, जिससे मीतमऊ, सेतुही, परेवा, नन्हूई, नकहा, बड़रिया, बोधवा, बरक्षता आदि में बाढ़ जैसी स्थिति बनी हुई है। इन गांवों के ग्रामीणों के सामने खाना बनाने के साथ मवेशियों के चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है। संपर्क मार्गों पर पानी भर जाने से आवागमन भी बाधित है। बिसवान खुर्द व मोगलापुर जाने वाली सड़कों के ऊपर से कई स्थानों पर पानी बह रहा है।
तहसीलदार लहरपुर मदन मोहन वर्मा ने शुक्रवार को क्षेत्र का जायजा लिया था। लेकिन पीड़ितों को अभी तक राहत सामग्री न मिलने से कई गांवों के तमाम परिवार परेशान हैं, क्योंकि इनके घरों में पानी भरा हुआ है।रेउसा इलाके के हुसैनपुर खानी में रहने वाले ज्ञानचंद का तीन वर्षीय पुत्र विकास सोमवार की सायं चार बजे घर के बाहर खेल रहा था। उसके घर के चारों ओर बाढ़ का पानी भरा हुआ है।
खेलते समय अचानक फिसलकर विकास बाढ़ के पानी में चला गया, जिसमें डूबकर उसकी मौत हो गई। परिवारीजनों ने शव का पोस्टमार्टम कराने से इंकार करते हुए अंतिम संस्कार कर दिया है।सुरेश कुमार, एसडीएम बिसवां ने बताया कि पानी काफी कम हो गया है। बाढ़ पीड़ितों को लंच पैकेट बराबर पहुंचाए जा रहे हैं। हालांकि लंच पैकेट पर्याप्त साबित नहीं होते हैं। जल्द ही राशन किट बाढ़ प्रभावितों को मुहैया कराई जाएगी।