कमीशनखोर अस्पताल में पहुंचे रमेश चंद्र मिश्र, प्राइवेट एंबुलेंसो की भीड़ देख भड़के विधायक | #TEJASTODAY
कमीशनखोर अस्पताल में पहुंचे रमेश चंद्र मिश्र, प्राइवेट एंबुलेंसो की भीड़ देख भड़के विधायक | #TEJASTODAY
जौनपुर। जिले के रेफर मरीजों को कमीशनखोरी के चक्कर में निजी अस्पतालों में पहुंचाने की शिकायत पर शनिवार की रात बदलापुर के विधायक रमेश चंद्र मिश्र अचानक जिला अस्पताल पहुंचे। अस्पताल गेट और परिसर में प्राइवेट एंबुलेंसों की भीड़ देख भड़के विधायक ने नाराजगी जताई। उन्होंने प्रभारी मंत्री और डीएम से इसकी शिकायत की। कहा कि मुख्यमंत्री से भी वह इसकी शिकायत करेंगे और जांच की मांग करेंगे।
मरीजों के उपचार से पहले उनकी कोविड-19 की जांच अनिवार्य है। कोरोना जांच की रिपोर्ट आने तक मरीजों को उपचार के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में गंभीर मरीजों को प्राइवेट एंबुलेंस संचालक और कुछ कर्मचारी जिला अस्पताल से रेफर कराकर वाराणसी के शिवपुर के एक अस्पताल में ले जाकर भर्ती करा देते हैं। रात में आने वाले रोगियों के साथ इस तरह की चीजें ज्यादा की जा रही हैं।
लोगों ने इसकी शिकायत विधायक से की थी। वह शनिवार की रात जिला अस्पताल पहुंचे। अस्पताल केगेट पर ही कई निजी एंबुलेेंस खड़ी थीं। परिसर में भी कई एंबुलेंस थीं। चिकित्सकों व कर्मचारियों से सरकारी एंबुलेंस होते हुए भी निजी एंबुलेंस होने का कारण पूछने पर वे संतोषजनक जवाब न दे सके। उन्होेंने अधिकारियों से शिकायत की लेकिन काफी देर तक कोई नहीं पहुंचा।
उसके बाद उन्होंने पूरे प्रकरण से प्रभारी मंत्री, डीएम और सीएमओ को अवगत कराते हुए जांच कराने का अनुरोध किया। विधायक ने बताया कि पांच माह के दौरान 11 से अधिक मरीजों को निजी एंबुलेंस से अस्पताल विशेष में ले जाया गया, जहां उनसे लाखों रुपये ऐंठ लिए गए। मौत होने पर लाश रोककर पैसा जमा कराया गया है।
इसमें कमीशनखोरी के सबूत भी हैं। सीएमएस डॉ. एके शर्मा का कहना था कि विधायक ने जो शिकायत की है, उसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। ऐसे चल रहा खेल अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों को रेफर करते ही प्राइवेट एंबुलेंस संचालक उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। अपना कम किराया बताते हुए वह मरीज को अपने साथ ले जाते हैं। रास्ते में बीएचयू, अन्य सरकारी व बड़े अस्पतालों में बिना कोविड जांच के भर्ती न किए जाने का हवाला देते हैं। वह बताते हैं कि जांच लंबा समय लगेगा, जिससे मरीज के लिए खतरा हो सकता है। झांसे में लेकर वह मरीज को सीधे चिह्नित अस्पताल लेकर पहुंचते हैं, जहां कमीशन की राशि लेकर चले जाते हैं।
बदलापुर के घनश्यामपुर निवासी राजेंद्र तिवारी के पुत्र अतुल तिवारी को दुर्घटना में घायल होने के बाद गत माह जिला अस्पताल से ट्रामा सेंटर रेफर किया गया, मगर एंबुलेंस चालक उन्हें शिवपुर के एक अस्पताल ले गया। वहां छह लाख रुपये खर्च के बाद भी अतुल की जान नहीं बची। राजेंद्र तिवारी का आरोप है कि बेटे की मौत के बाद भी शव को रखकर पैसा लिया गया।
बदलापुर के ही बड़ेरी निवसी झिल्लू राम की पत्नी सहोदरा को हार्ट अटैक होने पर जिला अस्पताल लाया गया, जहां से बीएचयू रेफर कर दिया गया। उन्हें एंबुलेंस चालक शिवपुर के उसी अस्पताल में ले गए। वहां चार लाख खर्च के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। दुर्घटना में घायल इटाएं की रेखा गुप्ता को दुर्घटना में जख्मी होने पर जिला अस्पताल से ट्रामा सेंटर की बजाए शिवपुर के निजी अस्पताल ले जाया गया। साढ़े छह लाख रुपये इलाज पर खर्च हुए। बंदीपुर के गजराज उपाध्याय के उपचार के नाम पर भी साढ़े चार लाख रुपये खर्च हुए, मगर उनकी मौत हो गई।