पूर्वांचल राज्य मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने की वर्चुअल मीटिंग
जय प्रकाश तिवारी
जौनपुर। साथियों पूर्वी उत्तरप्रदेश का क्षेत्र पूर्वांचल का समग्र विकास अभी तक इसलिए नहीं हो सका है कि केंद्र और प्रदेश की सरकारों ने हमेशा ही पूर्वांचल की उपेक्षा की है योजनाएं बनती है मगर धरातल पर नहीं पहुंच पाती हैं, क्यों कि दिल्ली, लखनऊ पूर्वांचल के विकास के लिए कभी संजीदा ही नहीं हुआ, तीव्र गति से विकास के लिए छोटी इकाइयां बहुत जरूरी होती हैं पूर्वी उत्तरप्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग गाहे-बगाहे उठती रहती हैं आजादी के इतने वर्षों बाद भी पूर्वांचल अपने हालात पर आंसू बहा रहा है।

अलग पूर्वांचल राज्य की मांग को लेकर सन 1962 से भगीरथ प्रयास की संगठनों द्वारा किया जाता रहा है पूर्वांचल राज्य मोर्चा के सभी पदाधिकारीयों द्वारा किसी भी अंजाम की परवाह किए बगैर प्रस्तावित पूर्वांचल राज्य की मांग के लिए बकायदा खाका तैयार किया गया है, जिसमें पूर्वी उत्तरप्रदेश के 27 जिले शामिल हैं। यदि पूर्वांचल को अलग राज्य बना दिया जाय तो इसका क्षेत्रफल 79807 वर्ग किमी है जोकि देश का 16 वां विशालतम राज्य होगा, आजादी के बाद पूर्वांचल के विकास को सरकारों ने तवज्जो नहीं दिया, भेदभाव पूर्ण नीतियों के चलते ही यह इलाका बेहद पिछड़ता चला गया। तकरीबन साढ़े सात करोड़ आबादी वाले इस क्षेत्र में लगभग 4 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने पर मजबूर हैं।
डेढ़ करोड़ से ज्यादा नौजवान बेरोजगारी का दंश झेलने पर मजबूर हैं मौजूदा हालात इस कदर बदतर हो गये हैं कि पूर्वांचल के गरीब किसान के घर अगर बेटा पैदा होता है तो उसे मुम्बई, दिल्ली,असम, गुजरात में पिटते मजदूरों का डर सताने लगता है।
इसलिए आप सभी से आग्रह है कि युवाओं का अन्य औद्योगिक प्रदेशों में पलायन को ब्रेक लगाने के लिए और आत्मनिर्भर पूर्वांचल बनाने में पूर्वांचल राज्य मोर्चा और इस संगठन के नेतृत्वकर्ता का साथ दिजीए। वहीं पर संगठन के संयोजक रजनीश तिवारी ने सभी पूर्वांचल राज्य मोर्चा के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि हम अपनी जंग को जारी रखेंगे और पूर्वांचल को राज्य बनाकर ही पीछे मुड़कर देखेंगे आप सभी साथी अपना सहयोग बनाएँ रखे।