1 फरवरी 2013, प्रयाग में महाकुंभ लगा हुआ था। तब विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने नरेंद्र मोदी को लेकर कहा कि ‘6 फरवरी को संत सम्मेलन है। उसमें मोदी को लेकर ऐसा फैसला लिया जाएगा, जिससे देश का इतिहास बदल जाएगा।’ 4 फरवरी अशोक सिंघल ने साधु-संतों से मीटिंग की। इसमें बाबा रामदेव, शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, जगद्गुरु स्वामी वासुदेवाचार्य और आचार्य गोविंद गिरि जैसे संत शामिल थे। दो दिन बाद यानी 6 फरवरी को सिंघल ने कहा- ‘नेहरू जी के बाद पहली बार किसी नेता को इतनी लोकप्रियता मिल रही है। जनता के बीच से मोदी को प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग उठ रही है। मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाना चाहिए।’ इसी दिन बीजेपी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह संगम पहुंचे। कहा जाता है कि राजनाथ, मोदी की उम्मीदवारी पर संत समाज की राय जानने आए थे। अशोक सिंघल ने उन्हें फीडबैक दिया। अगले दिन यानी 7 फरवरी को धर्म संसद बुलाई गई। इसमें हजारों साधु-संत शामिल हुए। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी धर्म संसद में पहुंचे थे।
जगद्गुरु वासुदेवाचार्य बताते हैं कि धर्म संसद में उन्होंने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा। साधु-संतों ने चिमटा बजाकर मोदी का समर्थन किया। कई संतों ने मोदी के नाम को लेकर नारे भी लगाए। मोहन भागवत ने भी नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने पर सहमति जताई। इससे पहले प्रधानमंत्री नेहरू और इंदिरा गांधी भी संगम में स्नान कर चुके हैं। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनने के दूसरे दिन ही यानी 25 जनवरी, 1966 को मौनी अमावस्या के दिन लाल बहादुर शास्त्री की अस्थियां लेकर संगम पहुंच गईं। उनके साथ राष्ट्रपति राधा कृष्णन, कांग्रेस अध्यक्ष के. कामराज और जाकिर हुसैन भी मौजूद थे।कुंभ मेले का एक राजनीतिक दांव-पेंच भी है। यही कारण है कि 29 जनवरी के भगदड़ के बाद वीआईपी मूवमेंट पर रोक लगाने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने 5 फरवरी को संगम में जाकर स्नान किया। कानून के रखवाले खुद ही राजनीतिक लाभ लेने के लिए कानून को तोड़ते रहते हैं। इस राजनीतिक शास्त्र को आरएसएस अच्छा से समझता है और उसको अच्छी तरह से इस्तेमाल करता है। जब जनता महंगाई, बेरोजगारी से त्रस्त है तो उसके आस्था के साथ खिलवाड़ करके उसको उस संगम में डुबकी लगवाई गई जिसका पानी नहाने योग्य नहीं है। इसके बावजूद श्रद्धालुओं को गन्दे और हानिकारक पानी में लोगों को स्नान करवाने के लिए झूठ बोला गया। जिस देश में युवाओं को रोजगार चाहिए, वह वहां पर महिलाओं के अश्लील फोटोग्राफी कर पैसा कमाने के रास्ते तलाश रहे हैं। जहां भारत की संस्कृति में माना जाता है कि तीर्थ धाम की अवस्था वृद्धावस्था होती है, वहीं पर देखा गया कि इस महाकुंभ में युवाओं और युवतियों की संख्या काफी रहीं।
महाकुंभ खत्म होते ही 2027 में महाराष्ट्र के नासिक में लगने वाले कुंभ की प्रचार और तैयारी होने लगी। 26 फरवरी 2025 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, मंत्रियों और अधिकारियों की बैठके हुई। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री गिरीश महाजन ने कहा कि विधानसभा के बजट सत्र में इस संबंध में विधेयक लाया जाएगा। महाजन ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने स्पष्ट रूप से कहा कि कुंभ के आयोजन के लिए पैसे की कोई कमी नहीं रहेगी। अच्छा कुंभ नासिक की धरती पर होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा है कि कुंभ के लिए बेहतर इंतजाम हो। जिस तरह कुंभ की व्यवस्था के लिए सरकार तत्पर है, अगर उसी तरह शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों के लिए तत्त्पर होती तो महाराष्ट्र में किसानों को आत्महत्या नहीं करने पड़ते। युवाओं को बरगलाने के लिए इस तरह के आयोजनों को प्रमुखता दी जा रही है, ताकि वह रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य की बात नहीं करें।
प्रो. राहुल सिंह अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश वाणिज्य परिषद वाराणसी।
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