अपात्र लाभार्थी से वसूली गयी पीएम आवास योजना की धनराशि
सारीजहांगीरपट्टी निवासी प्रवीण मौर्य की शिकायत पर हुई कार्यवाही
पात्र लाभार्थी के स्थान पर कूटरचित ढंग से दूसरे खाते में भेजी गयी थी आवास योजना की धनराशि
वित्तीय वर्ष 2016-17 का मामला
तेजस टूडे सं.
डा. प्रदीप दूबे
सुइथाकला, जौनपुर। स्थानीय विकास खण्ड स्थित चिलबिली गांव में वर्ष 2016-17 में आवास योजना के अन्तर्गत हुए घोटाले में परियोजना निदेशक ने अपात्र लाभार्थी को आवास की धनराशि आवंटित किए जाने के सम्बन्ध में उत्तरदायी कार्मिक की जांच कर सरकारी धनराशि राजकीय कोष में वापस जमा कराने का आदेश दिया था। जांचोपरान्त तथ्य सही पाये जाने पर अपात्र लाभार्थी के खाते में हस्तांतरित धनराशि की वसूली की गई है। मामला वित्तीय वर्ष 2016-17 में पीएम आवास योजना का है। विकास खण्ड स्थित चिलबिली गांव में सत्ती उर्फ शान्ती पुत्री रामकरन व जुगरी के नाम से आवास स्वीकृत हुआ था लेकिन ग्राम प्रधान द्वारा अवैध रूप से अपने ग्राम पंचायत की शान्ति देवी नाम की दूसरी महिला का आवास सरकारी धन से बनवा दिया गया जबकि उसका न सूची में नाम था और न ही वह आवास योजना के लिए पात्र थी।
मामला संज्ञान में आने पर स्थानीय सारी जहांगीरपट्टी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण मौर्य द्वारा प्रकरण की शिकायत खण्ड विकास अधिकारी सहित उच्च अधिकारियों से की गई थी। शिकायत के दौरान चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आये। शान्ती देवी के आवास हेतु आवंटित धनराशि का भुगतान गायत्री देवी के खाते में आवास की धनराशि का लाभ अपात्र शान्ती देवी को दिया गया था। शिकायत पर मामले की जांच रिपोर्ट 20अगस्त 2019 को प्रस्तुत की गई जिसमें तत्कालीन खण्ड विकास अधिकारी, प्रधान लिपिक एवं ग्राम पंचायत अधिकारी की भूमिका संदिग्ध पाई गई और अपात्र लाभार्थी से आवास की धनराशि लौटाने हेतु नोटिस जारी की गई।
5 वर्ष बीतने के बाद भी जब आवास की सरकारी धनराशि वापस नहीं कराई जा सकी तब शिकायतकर्ता प्रवीण मौर्य द्वारा पुनः प्रकरण की शिकायत आयुक्त ग्राम्य विकास-लखनऊ से की गई जिस पर परियोजना निदेशक जौनपुर ने त्वरित कार्रवाई करते हुए खण्ड विकास अधिकारी को आवास हेतु आवंटित धनराशि राजकीय कोष में जमा कराने का आदेश निर्गत कर 3 अक्टूबर तक प्रकरण का निस्तारण कराने का आदेश दिया। इसी क्रम में खण्ड विकास अधिकारी गौरवेंद्र सिंह द्वारा की गई कार्रवाई के तहत गायत्री पत्नी रोशन लाल से अपेक्षित वसूली की धनराशि 120000 का डिमाण्ड ड्राफ्ट डी०आर०डी०ए० जौनपुर को उपलब्ध कराया गया तथा प्रकरण निस्तारण की सूचना परियोजना निदेशक को भेज दी गई।
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