पापा तो मेरे सूरज-चाँन हैं,
वो ही तो मेरी पहचान हैं।
जो पाते दुआएँ मम्मी-पापा की,
समझो वही तो धनवान हैं।
तप-त्याग-संयम सिखाये हैं,
दुःख-सुख में रहना भी बताये हैं।
मेरी बगिया के वो बागबान हैं,
वो ही तो मेरी पहचान हैं।
पापा तो मेरे सूरज-चाँन हैं,
वो ही तो मेरी पहचान हैं।
जो पाते दुआएँ मम्मी-पापा की,
समझो वही तो धनवान हैं।
रौनक उनसे ही घर की बनती है,
कुदरत कर्मों को केवल पढ़ती है।
माता-पिता तो भगवान हैं,
वो ही तो मेरी पहचान हैं।
पापा तो मेरे सूरज-चाँन हैं,
वो ही तो मेरी पहचान हैं।
जो पाते दुआएँ मम्मी-पापा की,
समझो वही तो धनवान हैं।
चाहो जब बनते ओ खिलौना हैं,
पेट उनका आज भी बिछौना है।
मेरी ताकत, मेरी पूँजी, मेरी जान हैं,
वो ही तो मेरी पहचान हैं।
पापा तो मेरे सूरज-चाँन हैं,
वो ही तो मेरी पहचान हैं।
जो पाते दुआएँ मम्मी-पापा की,
समझो वही तो धनवान हैं।
रामकेश एम. यादव
‘सरस’ मुम्बई।
मो.नं. 7045535450
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