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चुनावी मौसम में यूपी-बिहार सीमा पर शराब माफियाओं की सरगर्मी तेज | #TEJASTODAY

जौनपुर का नं. 1 न्यूज पोर्टल

चुनावी मौसम में यूपी-बिहार सीमा पर शराब माफियाओं की सरगर्मी तेज | #TEJASTODAY

जौनपुर का नं. 1 न्यूज पोर्टल चुनावी मौसम में यूपी-बिहार सीमा पर शराब माफियाओं की सरगर्मी तेज | #TEJASTODAY अजय कुमार, लखनऊ विधानसभा चुनाव बिहार में हो रहे हैं लेकिन सक्रियता उत्तर प्रदेश में बढी हुई है। शराब तस्करों और अवैध हथियार के सौदागरों के अचानक ‘अच्छे दिन आ गए’ हैं। बिहार में शराब और हथियार दोनों की ही मांग तेज हुई तो यूपी के शराब माफिया मौके का फायदा उठाने के लिए मैदान में कूद पडे़। यूपी-बिहार सीमा से सटे आधा दर्जन से अधिक जिलों में शराब तस्करों और अवैध हथियारों की खेप कभी पकड़ी जाती है तो कभी पुलिस गच्चा खा जाती है तो ‘माल’ अपने ठिकाने पर पहुंच जाता है। नदी व पगडंडी के रास्ते बिहार में हथियार एवं शराब भेजी जा रही है। इस बात की भनक यूपी पुलिस को भी है, इसीलिए कुशीनगर, देवरिया, बलिया, चंदौली, गाजीपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज आदि जिलों में बार्डर के थानों पर चौकसी बढ़ी हुई हैं। पगडंडी पर पुलिस पिकेट लगाकर बिहार जाने वाले सभी वाहनों के साथ ही संदिग्ध व्यक्ति की तलाशी की जाती है लेकिन इससे अवैध कारोबारियों के हौसले पस्त नहीं हुए हैं। इन दिनों भी पुलिस ने सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में चुनाव के लिए सतर्कता बढ़ा दी है, फिर भी में बिहार में शराब माफियाओं द्वारा पुलिस पर हमला करने के कई मामले सामने आए हैं। इस महीने की शुरुआत में पटना में पुलिसकर्मियों की पिटाई भी की गई थी, जब वे शराब तस्करी के संदेह पर एक जगह पर छापा मारने गए थे। यूपी-बिहार सीमा के दोनों तरफ विभिन्न हिस्सों से अवैध कारोबारियों की गिरफ्तारी और शराब की बरामदगी हर दिन होती रही है लेकिन तैयार बाजार और आदतन अपराधियों के कारण शराब की आमद जारी है। पिछले साल शराबबंदी के बीच बिहार में पहले लोकसभा चुनाव के दौरान सख्ती से शराब की बरामदगी में महत्वपूर्ण गिरावट आई थी। हालांकि सात चरणों के दौरान नियमित रूप से शराब तस्करों की गिरफ्तारी भी हुई थी। कई जगह तो पुलिस भी आंख मुंदे रहती है। शराब और हथियारों के तस्कर घटिया माल से दोनों चीजें बना रहे हैं जो जानलेवा और खतरनाक भी है। बताते चलें कि बिहार में शराब बंदी है, इसलिए यहां के पियक्कड़ों को अन्य राज्यों से आने वाली दारू के सहारे रहना पड़ता है जो अक्सर जानलेवा भी साबित हो जाती है। अंतरराज्यीय सीमा से सटे सीमांचल के इलाकों में शराबखोरी पर रोक लगाना उत्पाद विभाग एवं स्थानीय पुलिस के लिए भी चुनौती बना है। कार्रवाई एवं सख्ती बरते जाने के बाद भी शराब तस्करी एवं शराब पीने के मामले सामने आ रहे हैं। विभाग द्वारा गिरफ्तारी एवं बरामदगी के आंकड़ों पर उपलब्धि का मूल्यांकन किया जाता है? लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी शराब की खेप यूपी से पहुंच रही है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के एक अधिकारी ने कहा कि निगरानी बढ़ने के कारण तस्करों ने अपने काम करने के तौर-तरीके बदल दिए हैं। तस्कर अब छोटी-छोटी मात्रा में शराब की तस्करी कर रहे हैं जिसे पता लगाने में परेशानी हो रही है। बहरहाल उत्तर प्रदेश में नकली शराब बनाने वालों के सिंडिकेट की कमर तोड़ने के लिए योगी सरकार की सक्रियता से शराब माफिया खुल कर अपना धंधा नहीं चला पा रहे हैं। योगी सरकार का आए दिन जहरीली शराब पीकर मौतों की घटनाओं से पारा चढ़ा हुआ है। यह देखते हुए पुलिस ने अवैध शराब के धंधे पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पिछले 12 दिनों में ही 1 लाख लीटर अवैध शराब बरामद हो चुकी है। बिहार के साथ उत्तर प्रदेश की 8 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं। दरअसल चुनाव चाहें लोकसभा के हों या फिर विधानसभा या पंचायत के सभी चुनावों की तारीख ज्यों जो करीब आती जाती है त्यों तो प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब बांटने का सिलसिला तेज होता जाता है। दशकों से इस बुराई से मुक्ति नहीं मिल सकी है। अनके मतदाताओं को मुफ्त में शराब मिलती है। उम्मीदवार भी सस्ती से सस्ती और घाटिया से घाटिया शराब परोसने से नहीं हिचकते, इसलिए इन दिनों न केवल अन्य राज्यों से अवैध शराब की तस्करी बढ़ गई है, बल्कि मिलवाटी, जहरीली, कच्ची और देशी शराब का कारोबार करने वाले भी सकिय हो उठे हैं। यह कानून व्यवस्था के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती है। अवैध रूप से बनाई जा रही है, इस पर पुलिस शिकंजा कस रही है लेकिन अन्य राज्यों से शराब की तस्करी कैसे होती है। यह सवाल मुसीबत का शबब बना हुआ है। पहली बात तो यह कि शराब फैक्ट्री में कम से कम एक आबकारी अधिकारी नियुक्त होता है जिसका काम ही यह देखना होता है कि अवैध रूप से फैक्ट्री से निकली शराब न जा सके। इसके बाद भी यूपी में हरियाणा से तो बिहार में यूपी से आई शराब धड़ल्ले से बिकती मिल जाती है। इसी प्रकार से कुछ अन्य राज्यों में बनी शराब की धड़ल्ले से तस्करी होती है। चूंकि अवैध रूप से फैक्ट्री से निकली शराब पर आबकारी शुल्क नहीं लगता, इसलिए यह अपेक्षाकृत सस्ती पड़ती है इसी की आड़ में निकली, मिलावटी और जहरीली शराब भी बिकती है। आश्चर्य की बात यह है कि कई चेकपोस्ट पार करके भी शराब प्रदेश में न केवल अपने गंतव्य तक पहंुच जाती है, बल्कि सीमा पार कर अन्य राज्यों तक भी चली जाती है। कुछ भ्रष्ट सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की बदौलत ही यह सब कुछ संभव शिकंजा कसना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि इस करोबार को शह देने वाले भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों की भी पहचान करनी होगी तभी शिकंजा कसने का वास्तविक लाभ मिल सकेगा। वर्ना सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा।

अजय कुमार, लखनऊ
विधानसभा चुनाव बिहार में हो रहे हैं लेकिन सक्रियता उत्तर प्रदेश में बढी हुई है। शराब तस्करों और अवैध हथियार के सौदागरों के अचानक ‘अच्छे दिन आ गए’ हैं। बिहार में शराब और हथियार दोनों की ही मांग तेज हुई तो यूपी के शराब माफिया मौके का फायदा उठाने के लिए मैदान में कूद पडे़। यूपी-बिहार सीमा से सटे आधा दर्जन से अधिक जिलों में शराब तस्करों और अवैध हथियारों की खेप कभी पकड़ी जाती है तो कभी पुलिस गच्चा खा जाती है तो ‘माल’ अपने ठिकाने पर पहुंच जाता है। नदी व पगडंडी के रास्ते बिहार में हथियार एवं शराब भेजी जा रही है।

इस बात की भनक यूपी पुलिस को भी है, इसीलिए कुशीनगर, देवरिया, बलिया, चंदौली, गाजीपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज आदि जिलों में बार्डर के थानों पर चौकसी बढ़ी हुई हैं। पगडंडी पर पुलिस पिकेट लगाकर बिहार जाने वाले सभी वाहनों के साथ ही संदिग्ध व्यक्ति की तलाशी की जाती है लेकिन इससे अवैध कारोबारियों के हौसले पस्त नहीं हुए हैं। इन दिनों भी पुलिस ने सभी सीमावर्ती क्षेत्रों में चुनाव के लिए सतर्कता बढ़ा दी है, फिर भी में बिहार में शराब माफियाओं द्वारा पुलिस पर हमला करने के कई मामले सामने आए हैं। इस महीने की शुरुआत में पटना में पुलिसकर्मियों की पिटाई भी की गई थी, जब वे शराब तस्करी के संदेह पर एक जगह पर छापा मारने गए थे।

यूपी-बिहार सीमा के दोनों तरफ विभिन्न हिस्सों से अवैध कारोबारियों की गिरफ्तारी और शराब की बरामदगी हर दिन होती रही है लेकिन तैयार बाजार और आदतन अपराधियों के कारण शराब की आमद जारी है। पिछले साल शराबबंदी के बीच बिहार में पहले लोकसभा चुनाव के दौरान सख्ती से शराब की बरामदगी में महत्वपूर्ण गिरावट आई थी। हालांकि सात चरणों के दौरान नियमित रूप से शराब तस्करों की गिरफ्तारी भी हुई थी। कई जगह तो पुलिस भी आंख मुंदे रहती है।

शराब और हथियारों के तस्कर घटिया माल से दोनों चीजें बना रहे हैं जो जानलेवा और खतरनाक भी है। बताते चलें कि बिहार में शराब बंदी है, इसलिए यहां के पियक्कड़ों को अन्य राज्यों से आने वाली दारू के सहारे रहना पड़ता है जो अक्सर जानलेवा भी साबित हो जाती है। अंतरराज्यीय सीमा से सटे सीमांचल के इलाकों में शराबखोरी पर रोक लगाना उत्पाद विभाग एवं स्थानीय पुलिस के लिए भी चुनौती बना है। कार्रवाई एवं सख्ती बरते जाने के बाद भी शराब तस्करी एवं शराब पीने के मामले सामने आ रहे हैं। विभाग द्वारा गिरफ्तारी एवं बरामदगी के आंकड़ों पर उपलब्धि का मूल्यांकन किया जाता है? लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी शराब की खेप यूपी से पहुंच रही है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के एक अधिकारी ने कहा कि निगरानी बढ़ने के कारण तस्करों ने अपने काम करने के तौर-तरीके बदल दिए हैं। तस्कर अब छोटी-छोटी मात्रा में शराब की तस्करी कर रहे हैं जिसे पता लगाने में परेशानी हो रही है।

बहरहाल उत्तर प्रदेश में नकली शराब बनाने वालों के सिंडिकेट की कमर तोड़ने के लिए योगी सरकार की सक्रियता से शराब माफिया खुल कर अपना धंधा नहीं चला पा रहे हैं। योगी सरकार का आए दिन जहरीली शराब पीकर मौतों की घटनाओं से पारा चढ़ा हुआ है। यह देखते हुए पुलिस ने अवैध शराब के धंधे पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पिछले 12 दिनों में ही 1 लाख लीटर अवैध शराब बरामद हो चुकी है। बिहार के साथ उत्तर प्रदेश की 8 विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं। दरअसल चुनाव चाहें लोकसभा के हों या फिर विधानसभा या पंचायत के सभी चुनावों की तारीख ज्यों जो करीब आती जाती है त्यों तो प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब बांटने का सिलसिला तेज होता जाता है। दशकों से इस बुराई से मुक्ति नहीं मिल सकी है। अनके मतदाताओं को मुफ्त में शराब मिलती है।

उम्मीदवार भी सस्ती से सस्ती और घाटिया से घाटिया शराब परोसने से नहीं हिचकते, इसलिए इन दिनों न केवल अन्य राज्यों से अवैध शराब की तस्करी बढ़ गई है, बल्कि मिलवाटी, जहरीली, कच्ची और देशी शराब का कारोबार करने वाले भी सकिय हो उठे हैं। यह कानून व्यवस्था के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती है। अवैध रूप से बनाई जा रही है, इस पर पुलिस शिकंजा कस रही है लेकिन अन्य राज्यों से शराब की तस्करी कैसे होती है। यह सवाल मुसीबत का शबब बना हुआ है। पहली बात तो यह कि शराब फैक्ट्री में कम से कम एक आबकारी अधिकारी नियुक्त होता है जिसका काम ही यह देखना होता है कि अवैध रूप से फैक्ट्री से निकली शराब न जा सके। इसके बाद भी यूपी में हरियाणा से तो बिहार में यूपी से आई शराब धड़ल्ले से बिकती मिल जाती है। इसी प्रकार से कुछ अन्य राज्यों में बनी शराब की धड़ल्ले से तस्करी होती है। चूंकि अवैध रूप से फैक्ट्री से निकली शराब पर आबकारी शुल्क नहीं लगता, इसलिए यह अपेक्षाकृत सस्ती पड़ती है इसी की आड़ में निकली, मिलावटी और जहरीली शराब भी बिकती है। आश्चर्य की बात यह है कि कई चेकपोस्ट पार करके भी शराब प्रदेश में न केवल अपने गंतव्य तक पहंुच जाती है, बल्कि सीमा पार कर अन्य राज्यों तक भी चली जाती है। कुछ भ्रष्ट सरकारी अफसरों और कर्मचारियों की बदौलत ही यह सब कुछ संभव शिकंजा कसना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि इस करोबार को शह देने वाले भ्रष्ट अफसरों और कर्मचारियों की भी पहचान करनी होगी तभी शिकंजा कसने का वास्तविक लाभ मिल सकेगा। वर्ना सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा।

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Tejas

Warm greetings and wishes of Sharadiya Navratri from Mangalam Jewelers to all of you: Near Collective Tiraha, Kachhari Road (Opposite Modern Sweets), Jaunpur | Contact: 9984909002 | #TEJASTODAY

कोरोना संक्रमण के चलते 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य ठप्प | #TEJASTODAY मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय तहसील के अधिवक्ताओं ने बैठक कर कोरोना संक्रमण को मद्देनजर 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य ठप्प रखने का निर्णय लिया है। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रेम बिहारी यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को साधारण सभा की बैठक बुलाई गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुये अधिवक्ता 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। इस मौके पर अधिवक्ताओं ने कहा कि तहसील में वादकारियों व अधिवक्ताओं की बढ़ती भीड़ के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है जिसके कारण संक्रमण का बराबर खतरा बना हुआ है। ऐसी स्थिति में एहतियात के तौर पर यह निर्णय अति आवश्यक है। बैठक में महामंत्री अजय सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश चंद्र सिन्हा, अशोक श्रीवास्तव, सुरेन्द्र मणि शुक्ला, जगदंबा प्रसाद मिश्र, नागेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, विनय पाण्डेय, हरि नायक तिवारी, वीरेंद्र भाष्कर यादव, मनमोहन तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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