मां ने हसरत से निहारा दुनियां जन्नत हो गई

मां ने हसरत से निहारा दुनियां जन्नत हो गई

एक बेवफा की चाह में दिल अपना हार के।
वो जा रहा है कोई शब ए गम गुजार के।।
कैसर ये तजरबा है मेरा, सच भी है यही।
दुनिया में कुछ नहीं है सिवा माँ के प्यार के।।
बीमार थे कमजोर थे लाचार नहीं थे।
हालात मेरे इतने भी दुश्वार नहीं थे।।
कल सोचा बहुत मैने लिखूं मां के लिए कुछ।
पर कैसे कैसे लिखूं लफ्ज ही तैयार नहीं थे।।
दस्ता बस्ता हों फरिश्ते भी शिफाअत में मेंरी।
ऐसी लज्जत या खुदा दे दे इबादत में मेरी।।
गर्दिशों तुम कहर बरपा कर लो जितना हो सके।
मेरी खातिर है दुआ गो मां भी जन्नत में मेरी।।
एक तेरे इश्क में क्या क्या न तमाशा देखा।
मैने चढ़ते हुए दरियाओं को प्यासा देखा।।
मां को गुजरे हुए मुद्दत हुई लेकिन कैसर।
दिल के आइने में एक नक्श चमकता देखा।।
इश्क तेरी हर अदा से मुझको निस्बत हो गई।
दर्द सहना गम उठाना अपनी आदत हो गई।।
चूम कर पेशानी कैसर जिस घड़ी मेरी तरफ।
मां ने हसरत से निहारा दुनियां जन्नत हो गई।।

कैसर जौनपुरी

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