झारखण्ड विस का मानसून सत्र तय समय से एक दिन पहले अनिश्चितकाल के लिये स्थगित
झारखण्ड विस का मानसून सत्र तय समय से एक दिन पहले अनिश्चितकाल के लिये स्थगित
स्पीकर ने कहा- सदन की गरिमा बचाने के लिये लिया फैसला, 5वें दिन तीन विधेयक पास
नीरज कुमार
रांची (झारखण्ड)। झारखंड विधानसभा मानसून सत्र के 5वें दिन गुरुवार को विपक्ष के हंगामे के कारण निर्धारित समय से एक दिन पहले ही विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चिकाल के लिए स्थगित कर दी गयी। विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि बार-बार सदन की कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है।
इसके कारण लोकतंत्र की मर्यादा को बनाये रखने के लिए और सदन की गरिमा को बचाये रखने के लिए अनिश्चितकाल के लिए सदन को स्थगित कर रहा हूं। सदन के अनिश्चित काल तक स्थगित होने से पहले तीन विधेयकों को मंजूरी प्रदान की गई। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने झारखंड उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2022 को पारित किया है। गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा का सत्र 29 जुलाई से शुरू होकर 5 अगस्त तक आहूत था। इसमें छह दिन का कार्य दिवस था लेकिन एक दिन पहले ही स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही एक दिन पहले स्थगित
गुरुवार को 5वें दिन सदन शुरू होते ही बीजेपी विधायकों का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। भाजपा विधायकों ने स्पीकर को कार्यालय से बाहर निकलने से रोकते नजर आये। वहीं गो हत्या के मुद्दे पर सदन में भाजपा विधायकों ने विरोध करते हुए वेल में आ आये। इस दौरान भाजपा विधायकों ने जमकर हो-हंगामा भी किया. विपक्ष द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन को देखते हुए स्पीकर श्री महतो ने मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
भाजपा के चार विधायकों का निलम्बन वापस
स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने भाजपा के चार विधायक भानु प्रताप शाही, ढुल्लू महतो, जय प्रकाश भाई पटेल और रणधीर महतो का निलंबन वापस ले लिया। सुबह 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने भाजपा के चारों निलंबित विधायकों के निलंबन को वापस लेने का प्रस्ताव रखा। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि सरकार यह चाहती है कि विपक्ष सदन में जनहित के मुद्दे और समस्याओं के समाधान को लेकर सकारात्मक सहयोग करें। संसदीय कार्यमंत्री के प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने भाजपा के चारों विधायकों का निलंबन वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि सहमति और असहमति संसदीय परंपरा का अलंकार है लेकिन विरोध का संयमित और संसदीय परंपराओं के अनुकूल होना भी अत्यंत ही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसी भी पीठासीन पदाधिकारी के लिए सदस्यों को सदन की कार्यवाही से निलंबित किया जाना अत्यंत ही दुःखद है लेकिन सदन की गरिमा और संवैधानिक परंपराओं की रक्षा के लिए यह कदम कभी-कभी न चाहते हुए भी उठाना पड़ता है। बता दें कि मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की मांग करते हुए विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। इसी के आधार पर स्पीकर ने चार विधायकों को चार अगस्त तक के लिए निलंबित कर दिया गया था।
कैग की रिपोर्ट को सभा पटल पर रखा गया
वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव ने भारत की नियंत्रक-महालेखा परीक्षक का झारखंड राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों सहित सामान्य, सामाजिक, आर्थिक एवं राजस्त्र प्रक्षेत्रों का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन की एक प्रति सभा पटल पर रखी।
गलत तरीके से शराब बनाने पर भी लगेगी लगाम
विधेयक पारित होते ही विधायक विनोद सिंह, लंबोदर महतो एवं रामचंद्र चंद्रवंशी ने प्रस्तावित संशोधन पेश करते हुए विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की मांग की। वह प्रतिवेदन 30 दिनों के अंदर दें। विनोद सिंह ने कहा कि अवैध और मिलावटी शराब पीने से मरने वालों को 5 से 10 लाख का मुआवजा कोर्ट से मिलेगा जो सही नहीं है। 20 लीटर से कम शराब बनाने वालो को जो अधिकारी पकड़ते हैं, वैसे विवेक के अनुसार उस व्यक्ति को छोड़ सकते हैं या जेल भेज सकते हैं। ऐसे में वे बारगेनिग करेंगे। मेरी मांग है, एक न्यूनतम राशि तय कीजिए। वहीं डा. लंबोदर महतो ने पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर प्रवर समिति को भेजने की मांग की। प्रभारी मंत्री ने कहा कि यह विधेयक शराब व्यवसाय से जुड़े लोगों को इनोसेंट लोगों को बचाने के लिए लाया गया है। विधेयक के संशोधन से राज्य में गलत तरीके से शराब बनाने पर भी लगाम लगेगी।