लायंस क्लब शाहगंज स्टार ने किया अन्तरराष्ट्रीय बाल कैंसर जागरूकता दिवस कार्यक्रम

लायंस क्लब शाहगंज स्टार ने किया अन्तरराष्ट्रीय बाल कैंसर जागरूकता दिवस कार्यक्रम

तेजस टूडे सं.
चन्दन अग्रहरि
शाहगंज, जौनपुर। स्थानीय नगर की सामाजिक संस्था लायंस क्लब शाहगंज स्टार ने सूर्या में अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस जागरूकता कार्यक्रम किया। बच्चों में होने वाली कैंसर से बचाव व जागरूकता के लिए हर साल 14 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके तहत लायंस क्लब शाहगंज स्टार ने सूर्या हॉस्पिटल में अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस जागरूकता का आयोजन किया।
कार्यक्रम में सूर्या हॉस्पिटल की डॉ. रुचि मिश्रा ने कहा कि खेलने-कूदने की उम्र में बच्चों को अब कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जंग लड़नी पड़ रही है। शहर के पीएमसीएच, आईजीआईएमएस, एनएमसीएच और पटना एम्स के कैंसर रोग विभाग में करीब 700 से अधिक बच्चों का इलाज चल रहा है। इसके अलाव इसके अलावा इनमें महावीर कैंसर संस्थान, बुद्धा कैंसर सेंटर के अलावा अन्य निजी अस्पतालों में 250 बच्चे इलाजरत हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि कैंसर लाइलाज बीमारी है लेकिन इससे जिदंगी खत्म नहीं हो सकती है। जज्बा, आत्मविश्वास, जागरूकता और अपनों के सपोर्ट से जंग-ए- जिंदगी में कैंसर को मात दी जा सकती है। इसी कारण बच्चों में होने वाली कैंसर से बचाव व जागरूकता के लिए आज हम 14 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस मना रहे हैं।
पटना में लिम्फोमा कैंसर अधिकारी डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों में चार प्रकार का कैंसर फैल रहा है। इसमें एक्यूट ल्यूकेमिया, ब्रेन ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा और लिम्फोमा का कैंसर शामिल है। विशेषज्ञ बताते हैं कि बड़ों के मुकाबले बच्चों में कैंसर के मामले कम होते है। बच्चों में होने वाला ज्यादातर कैंसर ठीक हो सकता है। बशर्ते उसकी समय पर पहचान हो जाय। यहां पर इलाज कराने वाले ज्यादातर बच्चों में लिम्फोमा और ल्यूकीमिया के पंजीकृत हैं। यहां तक कि कैंसर के संबंधित अस्पतालों में 3 साल से कम उम्र के बच्चों में न्यूरोब्लास्टोमा का कैंसर भी मिला है। बच्चों में कैंसर के प्रकार में ल्यूकीमिया- इसे ब्लड कैंसर भी कहा जाता है। इसमें बच्चों की त्वचा पीली पड़ने लगती है। लिम्फोमा- शरीर में गिल्टी या गांठ बन जाती है। लिम्फोमा में बच्चों को तेज बुखार व थकान जैसे समस्या होने लगती है।
न्यूरोब्लास्टोमा– यह कैंसर नवजातों को होता है। किडनी के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करता है। ब्रेन ट्यूमर– बच्चों के मस्तिष्क में ट्यूमर का निर्माण होने लगता है। बचाव के लिए आप को यह करना जरूरी स्वच्छता पर ध्यान दें। स्वच्छ व पौष्टिक भोजन कराएं। हड्डी में दर्द या सूजन हो तो डॉक्टर से संपर्क करें। बड़ों के मुकाबले बच्चों में कैंसर के मामले कम होते हैं। समय पर इलाज हो तो बच्चों में होने वाला अधिकांश कैंसर ठीक हो जाता है। बच्चों के आंतरिक शारीरिक क्षमता व्यस्कों की तुलना में मजबूत होती है। सही से इलाज हो तो तीसरे व चौथे स्टेज के कैंसर में भी अच्छी रिकवरी हो जाती है। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार संस्थाध्यक्ष मनीष अग्रहरि ने किया जिन्होंने लगभग 100 मरीजों को विस्फिट वितरण किया। कार्यक्रम में डॉ. सुधाकर मिश्रा, मनोज पांडेय, अनिमेश अग्रहरि, दीपक सिंह आदि मौजूद रहे।

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