अन्तर्मन में दीप जलाएं…….. | #TejasToday
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दीपोत्सव का पर्व अलौकिक,
स्नेह भाव जन मन में संयुत
नीरवता की अतुलनीय छवि
भक्ति सरस रव दीप जलाएं
राष्ट्र धर्म के पथ पर चलकर
सुखद ज्योति जग में आलोकित
दिशा दीप्ति चहुँओर प्रकाशित
राष्ट्रीयता का दीप जलाएं
प्रकृति उल्लसित मानव हर्षित
सभी सुखी हो भाव हो मन में
पीड़ित वंचित तप्त जनों में
प्रेमभाव का दीप जलाएं।।
भ्रम हो दूर जगत में सबका
नश्वर जग है ज्ञान हो इसका
तृष्णा लोभ मोह से वंचित
सत्य ज्ञान का दीप जलाएं।।
परहित निरत निरंतर का ब्रत
जड़ चेतन दुख दूर हो सत्वर
कपट भाव से जन हों वंचित
निर्मल मन का दीप जलाएं।।
दीपक हो इस भाँति अलौकिक
दिव्यज्योति चहुँ ओर प्रकाशित
मिटे लोक तम इस विवेक से
प्रखर बुद्धि का दीप जलाएं।।
जन के जीवन में हो प्रकाश
जग हर्षित हो तमतेज भगै
हो बन्धन मुक्त जाति का मन
एक प्रेम तत्व का दीप जलाएं।।
सम हो प्राणी का धर्म मार्ग
जन जन में हो प्रभु की करूणा
प्रभु को अर्पित निज धर्म कर्म
एक त्याग भाव का दीप जलाएं।।
रचनाकार- डॉ. प्रदीप कुमार दूबे
(साहित्य शिरोमणि)/शिक्षक/पत्रकार