Jaunpur News : शूर्पणखा की नीति और मारीच की भक्ति देख दर्शक हुए भाव-विभोर
Jaunpur News : शूर्पणखा की नीति और मारीच की भक्ति देख दर्शक हुए भाव-विभोर
डॉ. प्रदीप दूबे
सुइथाकला, जौनपुर। स्थानीय विकास खण्ड स्थित नवयुवक रामलीला समिति ईशापुर (डिहवा) द्वारा आयोजित रामलीला में शूर्पणखा-रावण सम्वाद से श्री राम-सुग्रीव मित्रता तक की भावमयी लीला का मंचन किया गया। शूर्पणखा-रावण सम्वाद, रावण-मारीच सम्वाद, मारीच का माया मृग बनना, सीता हरण, राम विलाप सीता की खोज तथा राम सुग्रीव मित्रता आदि की लीला देखकर लोग भावविभोर हो गए। खर दूषण समेत राक्षसों के विध्वंस का समाचार लेकर शूर्पणखा दशकंधर के दरबार में पहुंची और क्रोध से युक्त वाणी में रावण से नीति की बातें करती हुई बोली ष्करसि पान सोवसि दिन राती। सुधि नहिं तव सिर पर आराती।।
नीति की बातें कहती हुई अन्त में शूपर्णखा रावण से यह कहकर विलाप करने लगी कि शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए। शूपर्णखा की नीति की बातें सुनकर रावण चिंता मग्न होकर विचार करने लगा खर दूषण हमारे समान ही बलशाली थे, परमात्मा के बिना उन्हें कोई दूसरा नहीं मार सकता था अपने विवेक से अपनी सुगति के लिए वह मारीच के पास जाता है और सीता हरण करने का संकल्प बताकर उसे मायामृग बनने के लिए प्रेरित करता है।
रावण के प्रस्ताव को सुनकर मारीच श्री राम के पराक्रम का वर्णन करता हुआ कहता है कि मुनि मख राखन गयउ कुमारा। बिनु फर सर रघुपति मोहिं मारा।। सत जोजन आयउं छन माहीं।तिन्ह सन बयरू किए भल नाहीं।। रावण मारीच के प्रस्ताव को अस्वीकार कर देता है और उसे मारने के लिए दौड़ता है। रावण के दृढ़ संकल्प को देखकर मारीच अपने जीवन को धन्य मानते हुए माया मृग बनने के लिए तैयार हो जाता है वह कहता है कि हमें तो सहज में ही मुक्ति प्राप्त हो गई जिस परमात्मा को प्राप्त करने के लिए लोग जन्म जन्मांतर तक तप व्रत करते हैं आज वही परमात्मा हमारे पीछे पीछे दौड़ेगे तो हमारे समान धन्य और कोई नहीं होगा। मम पाछे प्रभु धावत,धरे सरासन बान।
पुनि पुनि प्रभुहिं बिलोकिहउं, धन्य न मो सम आन।। राम लीला आयोजन में सक्रियता से सहयोग करने वालों में समिति के अध्यक्ष रामेश्वर साव सचिव राजेन्द्र पाण्डेय, प्रबंधक रामजी चौरसिया, कोषाध्यक्ष रामधारी चौरसिया, श्याम जी चौरसिया, संजय पाण्डेय, अनन्त राम प्रजापति, महेन्द्र पाण्डेय, टिंकू गुप्ता, राम लखन गुप्ता, छोटे लाल गुप्ता, रमेश गुप्ता, शिव प्रसाद गुप्ता, रामरूप बिन्द, रामधनी मौर्य, समर बहादुर, अमर बहादुर आदि मौजूद रहे।
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