Jaunpur News: ताड़का वध देखकर भाव-विभोर हो उठे दर्शक

Jaunpur News: ताड़का वध देखकर भाव-विभोर हो उठे दर्शक

अमित शुक्ला
मुंगराबादशाहपुर, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के गुड़हाई की ऐतिहासिक एवं मनमोहक रंगीला रामलीला में ताड़का वध की लीला देख सभी दर्शक भाव-विभोर हो उठे। राम, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न अपनी शिक्षा पूरी कर अयोध्या लौटते हैं। उनके पराक्रम की चर्चा सभी जगह हो रही है। उसी दौरान कुछ हिस्सों में राक्षसी राज होने के कारण जन मानुष बहुत दुखी एवं प्रताड़ित हैं। तब सभी मुनि मिलकर इस समस्या के निवारण हेतु एक उपाय सोचते हैं एवं अयोध्या जाकर दशरथ नंदन को इस दुविधा के अंत के लिए बुलाना तय करते हैं। इसके लिए मुनिराज विश्वामित्र अयोध्या के लिये प्रस्थान करते हैं। अयोध्या पहुंचकर विश्वामित्र राजा दशरथ से सारी स्थिति स्पष्ट करते हैं और राम को अपने साथ भेजने का आग्रह करते हैं।

राजा दशरथ जनकल्याण के लिए सहर्ष राम को जाने की आज्ञा दे देते हैं। यह सुन लक्षमण गुरु विश्वामित्र के चरण पकड़कर अपने भैया राम के साथ ले चलने का आग्रह करते हैं। भातृप्रेम के आगे सभी हार मान जाते हैं और लक्ष्मण को भाई राम के साथ जाने की आज्ञा दे देते हैं। सुबह के समय राम, लक्ष्मण एवं मुनि विश्वामित्र नदी के किनारे पहुँचते हैं। दो राजकुमारों को देख सभी मुनि विश्वामित्र से उनका परिचय जानना चाहते हैं। तब विश्वामित्र सभी को बताते हैं कि ये दोनों अयोध्या के राजकुमार हैं। उनकी बाते सुनने के बाद वहाँ के लोग उन्हें नाव देते हैं और कहते हैं कि वे इस नदी को इसी नाव से पार करें। इसके बाद रास्ते में मुनिवर ने राजकुमारों को बताया कि सुन्द ने अगस्त मुनि को मारने हेतु आक्रमण किया। सुन्द के आगे बढ़ते ही अगस्त मुनि ने उसे अपने श्राप से भस्म कर दिया।

पति की मृत्यु को देख ताड़का क्रोध से भर गई जो अगस्त मुनि पर आक्रमण कर दी। तब मुनि उसे भी श्राप देते हुये उसके सुंदर व कोमल शरीर को भयानक कुरूप बना दिये। तभी से राक्षसी ताड़का बदले की आग में जल रही है जो निर्दोष मानवों पर अत्याचार कर रही है। इसी अत्याचार से मनुष्यों को मुक्ति दिलाने के लिये तुम दोनों को यहाँ लाया गया। इसी के साथ राम विश्वामित्र की बात मानते हैं और गुरु के आदेशानुसार ताड़का का वध करने के लिये एक नये शस्त्र ‘टंकार’ का आविष्कार करते हैं। टंकार एक ऐसा धनुष हैं जिसे खीचने पर असहनीय आवाज होती हैं जो चारों तरफ हाहाकार मचा देती हैं जिसे सुनकर जंगली जानवर डरकर भागने लगते हैं।

इस सबके कारण ताड़का को क्रोध आने लगता है जो राम को धनुष बाण से सज्ज देख सोचती है कि यह राजकुमार विश्वामित्र द्वारा लाया गया है, इसलिये अवश्य ही मेरे साम्राज्य को तबाह कर सकता है। वह तेजी से राम के उस शस्त्र पर झपट्टा मारती है जिसे देखकर राम लक्ष्मण से कहते हैं- लक्ष्मण देखो यह एक राक्षसी है जिसकी काया इतनी बड़ी है और कितनी कुरूप है। यह मनुष्यों को मारने में आनंद अनुभव करती है। फिल्हाल राम और ताड़का के बीच बहुत देर तक युद्ध चलता है जिसके बाद अंत में राम ताड़का के हृदय स्थल पर तीर से आघात करते हैं जिससे उसका वध हो जाता है। यह देख सभी लोग बहुत प्रसन्न होते हैं। भयावह वन वापस सुंदर राज्य में बदल जाता है।

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