Jaunpur News : आपसी भाईचारे का पैगाम देता है इस्लामः डा. कल्बे रूशैद
Jaunpur News : आपसी भाईचारे का पैगाम देता है इस्लामः डा. कल्बे रूशैद
बेगुनाहों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाहः डा. कल्बे रजा
लोगों की मदद करना सिखाता है इस्लामः सै. अली गौहर
मजलिसे चेहलुम में शामिल होने पहुंचे मौलाना
जौनपुर। जिले में रविवार को इमामबाड़ों में तीन अलग-अलग स्थानों पर मजलिसे चेहलुम सम्पन्न हुई। जिसमें विश्व विख्यात मौलानाओं ने दीने इस्लाम व कर्बला पर रोशनी डालते हुए अजादारों को संबोधित किया। नगर के बाजारभुआ स्थित इस्लाम चौक पर मजलिस को खिताब करते हुए विश्व विख्यात मौलाना डा.सैयद कल्बे रूशैद रिजवी ने कहा कि इस्लाम आपसी भाईचारे का पैगाम देता है।
हजरत मोहम्मद मुस्तफा स.अ. के नवासे हजरत इमाम हसन व हुसैन अ.स. ने दीने इस्लाम को बचाने के लिए अपने पूरे खानदान की कुर्बानी दे दी पर इसको मिटने नहीं दिया। आज इस्लाम पूरी दुनिया में जो फैला है वह इसी खानदान की शहादत की देन है। हजरत अली अ.स. की शहादत हो या फिर इमाम हसन व हुसैन की शहादत हो सभी ने इस्लाम की हिफाजत के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया। मजलिसे चेहलुम मरहूम सैयद नजमुल हसन व सैयद तहजीबुल हसन का आगाज सोजखानी से सैयद गौहर अली जैदी व उनके हमनवा ने किया। पेशखानी चंदन फैजाबादी, शहंशाह मिर्जापुरी व तनवीर जौनपुरी ने किया। अंजुमन अजाये अहलेबैत सिपाह के नौहेखां हैदर अली शीराजी अपने दर्द भरे नौहे पढ़कर पूरे माहौल को गमगीन कर दिया। इस मौके पर सै. नवाब जैदी राहिल, सै. शबाब हैदर जैदी, सै.जैगम अली जैदी, सै. दानिश जैदी, सै. राशिद जैदी व सै. जमीर जैदी ने सभी का आभार प्रकट किया। दूसरी मजलिस इमामबारगाह हुसैनिया मीरघर पानदरीबा में दिल्ली से आये मौलाना सैयद कल्बे रजा पूर्व निदेशक मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल ने खेताब करते हुए कहा कि इस्लाम में बेगुनाहों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाह है।
ऐसे में जो भी बेगुनाहों का खून बहाता है उसे खुदा भी माफ नहीं करेगा। आज जिस तरह से इस्लाम के नाम पर चंद लोग बेगुनाहों का खून बहा रहे हैं उन्हें सही इस्लाम के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है। इसका सबूत हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने बहत्तर साथियों के साथ शहादत देकर पूरी दुनिया को बता दिया था। इससे पूर्व मजलिसे चेहलुम मरहूमा मरियम जहरा का आगाज सोजखानी से सै. वासिफ हसन व उनके हमनवां ने किया। संचालन नसीर आजमी ने किया। पेशखानी सै. आजम अब्बास शकील दिल्ली व अर्शी वास्ती ने किया। इस मौके पर मौलाना वसीम रिजवी, सैयद नजमुल हसन जैदी, मोहम्मद फहमी, मोहम्मद आब्दी सहित अन्य लोग मौजूद रहे। आभार सैयद मोहम्मद अजमी आब्दी ने प्रकट किया। वहीं चालीसवें की तीसरी मजलिस जफराबाद कस्बा के मुहल्ला नासही स्थित हसन मंजिल के इमामबाड़े में डा. शमीम आब्दी ने अपने पिता स्व. बशीर अहमद आब्दी के इसाले सवाब के लिये आयोजित किया। मजलिस को अंबेडकरनगर के अमसिन गांव से आये मौलाना सैयद मोहम्मद अली गौहर ने खेताब करते हुए कहा कि समाज के साथ मिलकर सभी लोगों की मदद करना इस्लाम सिखाता है।
हमें चाहिए कि सभी मजहब व मिल्लत के लोगों के साथ मिलकर अपने कौम के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की जरूरत है जिससे कि पूरी कौम का मुस्तकबिल अच्छा बन सके। इसके पूर्व मजलिस की शुरूआत तिलावते कलाम पाक से हुई। घोसी से आये सोजखां अहमद अब्बास व उनके हमनवा ने सोजखानी की। जिसके बाद पेशखानी शायरे अहलेबैत डा. सैयद असगर इमाम, मोहम्मद रजा ने किया। मशहूर शायर जेना आब्दी को अपने शेर हमने माना मंजिले जां से गुजर जाने के बाद, उल्फते सरवर जिला देती है मर जाने के बाद पढ़कर सुनाने पर खूब दाद मिली। बाद खत्म मजलिस नौहाखानी मरहूम स्व.बशीर आब्दी के पौत्र सैयद तारिब आब्दी ने की। संचालन एरम आब्दी ने किया। मजलिस में आये हुए लोगों के प्रति आभार डा. शमीम आब्दी व उनके भाई नसीम आब्दी ने संयुक्त रूप से प्रकट किया। इस मौके पर नसीर आब्दी, सैयद मुज्तबा हसन आब्दी, राहिब रिजवी बड़ागांव, सैयद फैजान आब्दी, डा. हैदर रजा आब्दी, अहमर आब्दी, अमान आब्दी, डा. आरिफ अख्तर लखनवी, शजर आजमी, यासूब, अरशद, घोसी के मौलाना नसीमुल हसन, मजहर आब्दी, बढ़हलगंज के इमामे जुमा मौलाना जेयारत हुसैन आदि मौजूद रहे।
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