भोजपुरी फिल्मों को गलत ढंग से दिए अनुदान के आरोपों की जांच शुरू
लखनऊ (पीएमए)। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भोजपुरी फिल्मों को गलत ढंग से दिए अनुदान के आरोपों की जांच शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश सरकार ‘फिल्म बंधू’ द्वारा भोजपुरी फिल्म ‘पंडितजी बताई न ब्याह कब होई-2’ सहित 21 फिल्मों को गलत ढंग से अनुदान देने के आरोपों की जांच करवा रही है।
यह जानकारी थाना हजरतगंज के दारोगा चंद्रभान गिरी ने दी है। बता दें कि भोजपुरी फिल्मों को गलत ढंग से अनुदान देने के आरोपों की जांच समाजसेवी डॉ. नूतन ठाकुर द्वारा की गई शिकायत पर शुरू हुई है।
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सीएम योगी को भेजा था शिकायती पत्र
एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ने सीएम योगी आदित्यनाथ को भेजे शिकायती पत्र में कहा था कि, इस फिल्म को 82.52 लाख रुपए का अनुदान दिया गया। लेकिन फिल्म के निर्माता रवि किशन और समीर त्रिपाठी द्वारा तमाम आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत नहीं किये गए। साथ ही कई फर्जी अभिलेख भी लगाए गए दिखते हैं।
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यूपी के अभिनेताओं के नाम पर अतिरिक्त अनुदान
समाजसेवी ने कहा कि, निर्माताओं ने नियमानुसार फिल्म के व्यय के बीजक नहीं लगाये थे। इसी प्रकार इस फिल्म के 5 प्रमुख अभिनेताओं के उत्तर प्रदेश के निवासी होने के नाम पर 14.33 लाख रुपए का अतिरिक्त अनुदान मिला, लेकिन निर्माता ने इनके निवास प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराये थे।
उन्होंने आगे लिखा कि, इसी तरह रवि किशन और समीर त्रिपाठी ने दो अलग-अलग चार्टर्ड अकाउंटेंट से फिल्म के कुल लागत का प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया, जिसमें संजीव श्रीराम वर्मा ने लागत 3,81,81,000 रुपए और एन आर गोलचा ने लागत 2,18,01,662 रुपए का प्रमाणपत्र दिया, जो सीधे फर्जीवाड़ा दिखता है। डॉ. नूतन ने इस इन तथ्यों की उच्चस्तरीय जांच कराते हुए आरोप साबित होने पर फिल्म अनुदान वापस लेने और एफआइआर दर्ज कराए जाने की मांग की थी।
आठ महीनों से लंबित जांच पर आपत्ति
वहीं, दरोगा चंद्रभान गिरी ने कहा कि, फिल्म बंधू में इस संबंध में जांच से मालूम हुआ कि वर्ष 2016-17 में 21 फिल्मों को गलत अनुदान के संबंध में शासन द्वारा 08 दिसंबर, 2020 को विभागीय जांच गठित की गयी, जो अभी लंबित है। उन्होंने कहा कि, विभागीय जांच के बाद ही विधिक कार्यवाही की जाएगी। हालांकि, डॉ. नूतन ठाकुर ने इतने गंभीर मामले में आठ माह बाद भी जांच लंबित रहने पर अपनी आपत्ति प्रकट की।
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