भारतीय ज्ञान परम्परा समाज के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन का स्रोत: डा. रविन्द्र
आदर्श श्री वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परम्परा पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
जौनपुर। आदर्श श्री वासुदेव संस्कृत महाविद्यालय गुतवन में भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसके मुख्य अतिथि डा. रविशंकर पाण्डेय एवं विशिष्ट अतिथि परमानन्द सिंह उप निरीक्षक संस्कृत पाठशाला पंचम मंडल वाराणसी और डा. ज्ञान प्रकाश मिश्रा रहे। संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो. हीरक कांति सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी ने की। संगोष्ठी में विभिन्न जनपदों से आये विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किये जहां प्राचार्य डॉ. रविन्द्र पाण्डेय ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है जिसमें वेद, उपनिषद, दर्शन और विभिन्न शास्त्रों की महत्ता विद्यमान है। इस बात पर जोर दिया कि भारतीय ज्ञान न केवल आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि समाज के कल्याण और जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करता है। अन्य वक्ताओं में वशिष्ठ द्विवेदी कुशीनगर, डा. शिवाकान्त मिश्रा अमेठी, डा. खगेन्द्र मिश्रा, डा. संजय सिंह गौतम, गिरजेश मिश्रा, रामचन्द्र शुक्ल, डा. आलोक मिश्रा, अजय सिंह, राम सुंदर, पुरुषोत्तम, प्रदीप, संतोष मिश्र, कपिलदेव मिश्र आदि उपस्थित रहे। वक्ताओं ने भारतीय दर्शन और ज्ञान परम्परा की समृद्धता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की शिक्षा पद्धति में इस प्राचीन ज्ञान को समाहित करना आवश्यक है, ताकि युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक धरोहर से अवगत हो सके और भारत की वैश्विक पहचान एवं मजबूत हो। अन्त में विद्यालय के प्रबन्धक संजीव सिंह ने समस्त आगंतुकों एवं वक्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम संयोजक प्रवेश कुमार रहे। संगोष्ठी का संचालन पवन तिवारी ने किया।
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