चौकियां धाम में कथा प्रेमियों की उमड़ रही भारी भीड़
हनुमान जी की प्रभु श्रीराम भक्ति का प्रसंग सुनकर लोग हुये भाव—विभोर
चौकियां धाम, जौनपुर। मां शीतला चौकियां धाम में श्रीराम कथा के चौथे दिन काशी से पधारे कथा वाचक मानस मर्मज्ञ मदन मोहन मिश्र महाराज व ज्योतिषाचार्य कथा वाचक डा. अखिलेश चन्द्र पाठक के मुखारबिन्दु से श्रीराम कथा के भक्ति रस की गंगा में डुबकी लगाने का सौभाग्य कथा प्रेमियों को मिला।
कथा के चौथे दिन कथा प्रवचन के दौरान सुन्दर काण्ड कथा का वर्णन करते हुए मदन मोहन मिश्र ने रामचरित मानस सुन्दर काण्ड पाठ वर्णन करते हुए बताया कि सुन्दर काण्ड का पाठ प्रतिदिन करने से बजरंग बली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है। जो लोग नियमित रूप से सुन्दर काण्ड का पाठ करते हैं, उनके जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। इसमें हनुमान जी ने अपनी बुद्धि और बल से सीता की खोज की है। इसी वजह से सुन्दर काण्ड को हनुमान जी की सफलता के लिए याद किया जाता है। सुन्दर काण्ड का सार क्या है? हनुमान जी की दुर्गम यात्रा- सुन्दर काण्ड भगवान हनुमान के अद्वितीय बल और भक्ति का परिचय देता है। इसमें हनुमान जी की लंका यात्रा का वर्णन होता है जो उनके महाकवच के शक्तिशाली प्रयोग के साथ हुआ। सीता माता की प्रतीक्षा- सुन्दर काण्ड में हनुमान जी लंका में जाकर माता जानकी के पास पहुँचते हैं। मान्यता है कि मंगलवार और शनिवार के दिन विशेष रूप से श्री सुन्दर काण्ड का पाठ करने पर श्री हनुमान जी की शीघ्र ही कृपा बरसती है। श्री सुन्दर काण्ड का पाठ करने से जीवन में आ रही सभी प्रकार की परेशानियां शीघ्र ही दूर होती हैं और साधक को श्री हनुमान जी से बल, बुद्धि, विद्या समेत सुख-सम्पत्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। श्रीराम भक्त हनुमान भगवान शिव जी के रूद्रावतार अंश माने जाते हैं। मान्यता है कि हनुमान का जन्म ही श्रीराम की सहायता के लिए हुआ था। श्रीराम के सबसे बड़े बलशाली ताकतवर और परम भक्त हनुमान का वर्णन रामायण में स्पष्ट है। कहते हैं कि धरती पर अगर कोई ईश्वर है तो वह केवल श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं। अमरता का वरदान जानकी माता ने हनुमान जी को ही दिया था। इसी क्रम में ज्योतिषाचार्य डॉ अखिलेश चंद्र पाठक ने बताया कि माता सीता राम और रावण के बीच महाकाव्य युद्ध के अन्त तक अशोक वाटिका में रहीं जिसके परिणामस्वरूप रावण और उसके अधिकांश वंश का विनाश हुआ। अशोक वाटिका का अधिकांश भाग हनुमान द्वारा तब नष्ट कर दिया गया था जब वे सीता की खोज में पहली बार लंका गये थे। अशोक वाटिका के केन्द्र में प्रमदा वन को भी नष्ट कर दिया गया था।
इस अवसर पर सुरेन्द्र गिरी, शिव आसरे गिरी, राम आसरे साहू, मदन साहू, हनुमान त्रिपाठी, अमित गिरी समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
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