परम पावन बसंत एक नवरात्रि और नया भारतीय वर्ष विक्रम सम्वत् 2079

परम पावन बसंत एक नवरात्रि और नया भारतीय वर्ष विक्रम सम्वत् 2079

डा. दिलीप सिंह
ज्योतिष शिरोमणि
इस वर्ष नया भारतीय वर्ष विक्रम सम्वत् 2079 शनिवार के दिन प्रारंभ हो रहा है और इसी दिन परम पावन बसंत एक नवरात्रि एवं कलश स्थापना का दिन है और भगवान झूले लाल की जयंती भी है। यह है रेवती नक्षत्र में इंद्र योग में लग रहा है।

इस वर्ष का राजा फसलों का स्वामी और नीरसेश और धनेश है तीनों शनि देव शनि न्याय के देवता हैं और दोस्तों आतंकियों चोर डकैतों अपराधी तत्वों को कठोर दंड देने के लिए प्रख्यात है। बहुत कल्याणकारी हैं लेकिन जिस पर अपनी वक्त दृष्टि डाल देते हैं, वह लंका के सोने के नगर की तरह जलकर राख हो जाता है। इस वर्ष सस्येश मंगल हैं मेघेश और दुर्गेश दोनों बुध हैं और मंत्री देव गुरु बृहस्पति हैं। शुक्र धान्येश हैं जबकि यह राक्षस नाम का संवत्सर चल रहा है। इस वर्ष 5 ग्रह सान्ग में है और 5 ग्रह उग्र और क्रूर हैं, इसलिए पूरे वर्ष भारत सहित और पूरे विश्व में सत्य और असत्य की प्रकाश और अंधकार की देव शक्तियों तथा राक्षसी शक्तियों की घनघोर लड़ाई छिड़ी रहेगी।
भारत की कालगणना परमाणु कालगणना से विश्व में प्रामाणिक और वैज्ञानिक है जिसको आप इस तरह समझ सकते हैं कि इस समय ईस्वी सन् 2022 चल रहा है। विक्रम सम्वत् 2079 चल रहा है। कलि संवत 5123 और शक सम्वत् 1944 चल रहा है और कलयुग 432000 वर्ष का द्वापर 864000 वर्ष का त्रेता 1206000 वर्ष का और सहयोग 1728000 वर्ष का होता है जबकि इस सृष्टि को आरंभ हुए 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 123 वर्ष बीत चुके हैं और कोई भी विज्ञान या वैज्ञानिक क्या है, वह ओपेरिन हो या आइंस्टाइन हो या डार्विन हो। इतनी तो क्षमा करना नहीं कर सकते। अभी 426877 वर्ष का कलयुग बचा हुआ है।
अब भारतीय नववर्ष के साथ परम पावन बासंतिक नवरात्रि के बारे में विवरण करना उचित है। भारत में सदैव नदियों को सर्वोच्च स्थान देते हुए कहा गया है। यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता नवरात्रि के 9 दिन क्रमशः देवी शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी का होता है। इस समय पूजा पाठ नियमों के अनुसार शुभ और उत्तम मुहूर्त में की जाती है और पूजा के लिए सबसे अच्छा स्थान घर का ईशान कोण अर्थात उत्तर और पूर्व का भाग होता है। अगर किसी कारण से ऐसा न हो सके तो उत्तर और पश्चिम के कोण पर पश्चिम मुखी होकर कलश स्थापना करके पूजा पाठ करना चाहिये।
इस वर्ष परम पावन नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू होकर 11 अप्रैल तक अर्थात चैत्र महीने के उजाला पक्ष 1 से लेकर उजाला पक्ष 9 तक चलेगा और अगर शुद्ध और सात्विक मन से माता की उपासना पूजा पाठ या केवल पुष्पमाला ही अर्पित किया जाए तो उससे सभी लोग स्वस्थ निरोग और सब विचारों वाले होते हैं। घर में सुख समृद्धि बढ़ती हैं। अगर संभव है और भगवान ने पैसे दिए हैं तो 9 दिनों तक अखंड ज्योति जलाना चाहिए और यह ज्योति हमेशा अग्नि कोण पर अर्थात दक्षिण पूर्व दिशा में रखना चाहिए। इससे शत्रु परास्त होते हैं और आयु बढ़ती है। बीमारियां कम होती हैं।
इस समय माता लक्ष्मी की पूजा 9 दिनों तक करना चाहिए, क्योंकि मूल रूप से सभी प्राकृतिक शक्तियां एक ही हैं। मुख्य द्वार पर माता लक्ष्मी का चरण अंदर की ओर आते हुए बनाना चाहिए। कलश या घट स्थापना के लिए 2 अप्रैल शनिवार के दिन सुबह 6.21 से सुबह 8.21 का समय बहुत ही सुंदर है। अगर किसी कारण से ऐसा न हो सके तो परम दिव्य अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12.07 से दोपहर 12.57 तक कलर्स या घट स्थापना करना चाहिए। ज्ञात हो कि शुक्ल पक्ष प्रथम शनिवार के दिन 11.58 तक ही रहेगा। उसके बाद समाप्त हो जाएगा। आता किसी भी प्रकार से कलर्स और घट स्थापना तथा प्रथम दिन की पूजा 11.57 के पहले सुबह कर लेना चाहिए, क्योंकि इस वर्ष प्रथमा तिथि 1 अप्रैल को ही सुबह 11.53 पर लग जा रही है।
हर व्यक्ति को चाहिए कि एक घड़ा लेकर उसमें जल भर दें और उसमें लाल और पीले फूल डालकर अपने कार्यालय दुकान या मकान के पूर्व या उत्तर दिशा में या ईशान कोण पर रख दें और हो सके तो उसमें लाल और पीले रंग भी मिला दे। जो लोग 9 दिन का व्रत रखते हैं, उनको अष्टमी या नवमी को घर में कन्या का पूजन अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह निष्पाप और देवी स्वरूपा होती हैं। इनको भोजन भी कराना चाहिए जिन्हें घर में उत्तर या पूर्व की ओर बैठाकर भोजन करके अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए। साफ-सफाई स्वच्छता सदाचार का पालन करते हुए केवल मानसिक पूजा करने पर भी आपको संपूर्ण फलों की प्राप्ति हो सकती हैं।
अगर आपका घर अथक प्रयास के बावजूद नहीं बन पा रहा है तो मिट्टी का छोटा सा घर बनाकर पूजा स्थल पर रख दें और माता रानी की कृपा रहेगी तो आपका एक सामर्थ्य के अनुसार अच्छा घर बन जाएगा लेकिन कुल पूजा पाठ का अंतिम और एकमात्र उपाय हैं कि मन से बुरे और गंदे विचारों को छोड़ दें। अधिक से अधिक सत्य निष्ठ कर्तव्यनिष्ठ सदाचारी बनने का प्रयास करें। मन, वचन, कर्म से दोहरा व्यवहार छोड़ दें और अपने सनातन धर्म देश और समाज के विकास के लिए कृत संकल्प हो जायं।
इस संसार में समस्त धनात्मक शक्तियां पुरुष वर्ग का और ऋणात्मक शक्तियां नारी तत्वों का प्रतीक है। विज्ञान और गणित भी इस बात को मानता है। किरण धन से सदैव प्रबल होता है। इलेक्ट्रान सदैव ही प्रोटान से शक्तिशाली होता है और चपल तथा तेज भी होता है, इसीलिए जब राक्षसी तत्व और शक्तियों को मारने में ईश्वरीय शक्तियां अर्थात परम पुरुष भी विफल हो जाता है तब परम प्रकृति अर्थात आदिशक्ति भगवती पार्वती मां का आह्वान किया जाता है और उन्हीं के अनंत और विविध रूप सभी देवी देवताओं के हैं जो शिव का साथ पाते हैं। निर्जीव लाश के अंदर भी ऊर्जा प्राण और स्फूर्ति डाल देती हैं, फिर वह चाहे महिषासुर हो चंड, मुंड, रक्त बीज हो अथवा तारकासुर हो उसका विनाश सदैव दैवी शक्तियों द्वारा ही होता है।
इस वर्ष माता रानी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं और उनकी विदाई भैंस पर हो रही है जो अत्यंत अशुभ और बड़ी-बड़ी प्राकृतिक आपदाओं विपत्तियों और दुर्घटनाओं युद्ध तथा शीत युद्ध का कारण बनेगा। अनेक प्रसिद्ध व्यक्तियों राजनेताओं की हत्याएं होंगी तथा दुनिया भर में उथल-पुथल मची रहेगी। प्रबल भूकंप, भयंकर ज्वालामुखी विस्फोट, भीषण समुद्री सुनामी लहरें, जल, थल, नभ दुर्घटनाएं, आतंक का नंगा नाच, अपराधी तत्वों का बोलबाला, यौन हिंसा का नंगा नाच होगा। रामनवमी का व्रत 10 अप्रैल को होगा और उसी दिन महानवमी भी होगी। महा अष्टमी व्रत 9 अप्रैल को होगा और उसका पारण 10 अप्रैल को किया जाएगा।

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