अतीत के आईनों से… | #TEJASTODAY

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  • डोभी के लाल ने पढ़ाया कानून और लिखा संविधान
  • विधि के विद्यार्थियों के लिये प्रेरणास्रोत थे प्रो. रामउग्रह
  • हावर्ड कालेज ऑफ लॉ के स्टूडेंट यूनियन के रहे आजीवन चेयरमै

सर्वाधिक पढा जानें वाला जौनपुर का नं. 1 न्यूज पोर्टल अतीत के आईनों से... डोभी के लाल ने पढ़ाया कानून और लिखा संविधान विधि के विद्यार्थियों के लिये प्रेरणास्रोत थे प्रो. रामउग्रह हावर्ड कालेज ऑफ लॉ के स्टूडेंट यूनियन के रहे आजीवन चेयरमै विनोद कुमार चन्दवक, जौनपुर। कामयाबी किसी परिचय का मोहताज नहीं होता है। इस कहावत को चरितार्थ करता डोभी का इतिहास जो देश ही नहीं, बल्कि विश्व पटल पर अपनी मिट्टी की खुशबू को आज भी बिखेरता हुआ नजर आता है। हम बात कर रहे केराकत तहसील के डोभी क्षेत्र के बोड़सर गांव में 23 मार्च 1903 में जन्मे प्रो. डा. राम उग्रह सिंह की। बताते चलें कि प्रो. सिंह पुत्र रामजग सिंह को बचपन से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। वहीं बड़े पिता शिवपत सिंह के पुत्र बटुक सिंह का भी पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। बच्चों के पढ़ने की इच्छाशक्ति को देखकर शिवपत सिंह उस समय के शिक्षित और विद्वान के रूप में विख्यात सेनापुर गांव में जाकर मुखराम सिंह से अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए आग्रह किए परंतु उन्होंने बोड़सर जाने से मना कर दिया तो शिवपत सिंह बोले कि जब तक आप हमारे बच्चों को पढ़ाने नहीं जाएंगे तब तक मैं आपके घर के सामने बैठा रहूंगा। तत्पश्चात उन्होंने बोड़सर जाने का फैसला कियाऔर वहां पहंुचकर जब बच्चों से मिले तो उनका हुनर देखकर आश्चर्यचकित रह गये। समय बीतता गया। साल 1927 में रामउग्रह सिंह एमए-एलएलबी की पढ़ाई पूरा कर वकालत करने लगे। कानून के विषय में उनका पहला लेख पढ़कर हावर्ड कालेज आफ लॉ से बुलावा आ गया। उन्होंने वहां जाकर पढ़ाई की लेकिन देशप्रेम की भावना उन्हें वापस लखनऊ आने पर मजबूर कर दी। यहां 1938 से 1956 तक पढ़ाते रहे। उनकी कानूनी विद्वता की जानकारी पाकर नेपाल के राजा ने 50 के दशक के अंत में उन्हें अपनी संविधान निर्मात्री सभा में शामिल कर लिया था। उन्होंने नेपाल का संविधान बनाने में भूमिका निभाई। प्रो. सिंह आजीवन हावर्ड कालेज ऑफ लॉ के स्टूडेंट यूनियन के चेयरमैन भी रहे। लविवि में विधि विभागाध्यक्ष रहे प्रो. सिंह भारत में विधि की पढ़ाई के शिल्पी रहे। उन्होंने दिल्ली और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में विधि विभाग को स्थापित किया था। विश्वविद्यालय के इतिहास में वे एक अद्भुत नगीना रहे परंतु अफसोस होता है कि इतनी बड़ी हस्ती होने के बाद भी उनका पैतृक गांव बोड़सर व डोभी क्षेत्र आज भी उपेक्षा का शिकार है। यहां तक कि उनके नाम पर बना हुआ डा. रामउग्रह सिंह पोखरा इंटर कालेज आज भी उपेक्षा का शिकार है जो सोचनीय विषय है। गांव के ही समाजसेवी व तिरंगा यात्रा के संयोजक अजीत सिंह हर वर्ष 15 अगस्त को प्रो. सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तिरंगा यात्रा निकालते हैं। --इनसेट-- इन विषयों को उन्होंने किया स्थापित प्रो. डा. राम उग्रह सिंह ने पब्लिक इंटरनेशनल लॉ, कंपनी लॉ, विधि इतिहास, लीगल रेमेडीज, कराधान एवं श्रमिक कानून को विधि संकाय में स्थापित किया था। उन्होंने दो लॉ जर्नल द फेडरलिस्ट और इंडियन लॉ भी शुरू किये। विधि के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत रहे प्रो. डा. रामउग्रह सिंह का 1957 में उनका निधन हो गया।

विनोद कुमार
चन्दवक, जौनपुर। कामयाबी किसी परिचय का मोहताज नहीं होता है। इस कहावत को चरितार्थ करता डोभी का इतिहास जो देश ही नहीं, बल्कि विश्व पटल पर अपनी मिट्टी की खुशबू को आज भी बिखेरता हुआ नजर आता है। हम बात कर रहे केराकत तहसील के डोभी क्षेत्र के बोड़सर गांव में 23 मार्च 1903 में जन्मे प्रो. डा. राम उग्रह सिंह की। बताते चलें कि प्रो. सिंह पुत्र रामजग सिंह को बचपन से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। वहीं बड़े पिता शिवपत सिंह के पुत्र बटुक सिंह का भी पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था।

बच्चों के पढ़ने की इच्छाशक्ति को देखकर शिवपत सिंह उस समय के शिक्षित और विद्वान के रूप में विख्यात सेनापुर गांव में जाकर मुखराम सिंह से अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए आग्रह किए परंतु उन्होंने बोड़सर जाने से मना कर दिया तो शिवपत सिंह बोले कि जब तक आप हमारे बच्चों को पढ़ाने नहीं जाएंगे तब तक मैं आपके घर के सामने बैठा रहूंगा। तत्पश्चात उन्होंने बोड़सर जाने का फैसला कियाऔर वहां पहंुचकर जब बच्चों से मिले तो उनका हुनर देखकर आश्चर्यचकित रह गये। समय बीतता गया। साल 1927 में रामउग्रह सिंह एमए-एलएलबी की पढ़ाई पूरा कर वकालत करने लगे। कानून के विषय में उनका पहला लेख पढ़कर हावर्ड कालेज आफ लॉ से बुलावा आ गया।

उन्होंने वहां जाकर पढ़ाई की लेकिन देशप्रेम की भावना उन्हें वापस लखनऊ आने पर मजबूर कर दी। यहां 1938 से 1956 तक पढ़ाते रहे। उनकी कानूनी विद्वता की जानकारी पाकर नेपाल के राजा ने 50 के दशक के अंत में उन्हें अपनी संविधान निर्मात्री सभा में शामिल कर लिया था। उन्होंने नेपाल का संविधान बनाने में भूमिका निभाई। प्रो. सिंह आजीवन हावर्ड कालेज ऑफ लॉ के स्टूडेंट यूनियन के चेयरमैन भी रहे। लविवि में विधि विभागाध्यक्ष रहे प्रो. सिंह भारत में विधि की पढ़ाई के शिल्पी रहे। उन्होंने दिल्ली और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में विधि विभाग को स्थापित किया था। विश्वविद्यालय के इतिहास में वे एक अद्भुत नगीना रहे परंतु अफसोस होता है कि इतनी बड़ी हस्ती होने के बाद भी उनका पैतृक गांव बोड़सर व डोभी क्षेत्र आज भी उपेक्षा का शिकार है। यहां तक कि उनके नाम पर बना हुआ डा. रामउग्रह सिंह पोखरा इंटर कालेज आज भी उपेक्षा का शिकार है जो सोचनीय विषय है। गांव के ही समाजसेवी व तिरंगा यात्रा के संयोजक अजीत सिंह हर वर्ष 15 अगस्त को प्रो. सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तिरंगा यात्रा निकालते हैं।

–इनसेट–
इन विषयों को उन्होंने किया स्थापित
प्रो. डा. राम उग्रह सिंह ने पब्लिक इंटरनेशनल लॉ, कंपनी लॉ, विधि इतिहास, लीगल रेमेडीज, कराधान एवं श्रमिक कानून को विधि संकाय में स्थापित किया था। उन्होंने दो लॉ जर्नल द फेडरलिस्ट और इंडियन लॉ भी शुरू किये। विधि के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत रहे प्रो. डा. रामउग्रह सिंह का 1957 में उनका निधन हो गया।

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सर्वाधिक पढा जानें वाला जौनपुर का नं. 1 न्यूज पोर्टल यूनियन बैंक के एटीएम से निकले 2.93 लाख रूपये के मामले में मुकदमा दर्ज | #TEJASTODAY मुंगराबादशाहपुर, जौनपुर। स्थानीय थाना क्षेत्र के समसपुर निवासी सुरेश चन्द्र मौर्य का स्थानीय शाखा में एक बचत खाता था जिसमें सुरेश ने अपनी पुत्री की शादी के लिए खेती-बाड़ी की कमाई से एकत्रित कर 2 लाख 98 हजार 5 सौ रुपए जमा किए थे। लॉक डाउन के चलते शादी रुक गयी। इसी बीच सुरेश को पारिवारिक जरूरत के लिए रूपयों की आवश्यकता हुई तो सुरेश ने 22 सितम्बर को अपने उक्त बचत खाते से 5 हजार रुपए मुंगराबादशाहपुर के जंघई रोड स्थित यूनियन बैंक के एटीएम से जाकर निकाला। फिर जब उसे दुबारा 31 अक्टूबर को रुपयों की जरूरत पड़ी तो वह फिर अपने उक्त खाते से एटीएम द्वारा उसी एटीएम मशीन में पैसा निकालने गया जब उसने अपना एटीएम कार्ड मशीन में लगाया तो उसके खाते में महज 8 सौ 93 रुपए बचे थे। यह जानकारी होते ही सुरेश के पैरों तले जमीन खिसक गयी। सुरेश बैंक जाकर शाखा प्रबन्धक को अवगत कराया जिस पर शाखा प्रबन्धक सौमित्र मण्डल ने सुरेश का खाता चेक करके बताया कि उसके खाते से 43 बार में कुल 2 लाख 93 हजार रुपए एटीएम हैकरों द्वारा निकाल लिया गया है। भुक्तभोगी सुरेश ने अपने साथ घटी घटना के सम्बन्ध में यूनियन बैंक की स्थानीय शाखा एवं मुंगराबादशाहपुर थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराया जिस पर कार्यवाही करते हुए प्रभारी निरीक्षक सत्य प्रकाश सिंह ने घटना की प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जाँच शुरू कर दिया है।

कोरोना संक्रमण के चलते 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य ठप्प | #TEJASTODAY मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय तहसील के अधिवक्ताओं ने बैठक कर कोरोना संक्रमण को मद्देनजर 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य ठप्प रखने का निर्णय लिया है। अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष प्रेम बिहारी यादव की अध्यक्षता में शुक्रवार को साधारण सभा की बैठक बुलाई गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुये अधिवक्ता 19 सितम्बर तक न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। इस मौके पर अधिवक्ताओं ने कहा कि तहसील में वादकारियों व अधिवक्ताओं की बढ़ती भीड़ के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पा रहा है जिसके कारण संक्रमण का बराबर खतरा बना हुआ है। ऐसी स्थिति में एहतियात के तौर पर यह निर्णय अति आवश्यक है। बैठक में महामंत्री अजय सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश चंद्र सिन्हा, अशोक श्रीवास्तव, सुरेन्द्र मणि शुक्ला, जगदंबा प्रसाद मिश्र, नागेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, विनय पाण्डेय, हरि नायक तिवारी, वीरेंद्र भाष्कर यादव, मनमोहन तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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