गांव-गांव में भ्रष्टाचार, घोटालों पर फंसे कई सचिव
अंकित सक्सेना
बदायूं। प्रदेश और केंद्र सरकार गांव-गांव विकास को सरकारी धन भेज रही है लेकिन वो भ्रष्टार की भेंट चढ़ रहा है। इसकी हकीकत अब पंचायत राज विभाग में चल रही कार्रवाई से सामने आ रही है। पिछले दो महीने में 10 सचिव निलंबित हो चुके हैं, वहीं तीन सचिवों पर निलंबन की तलवार लटकी है। दर्जन भर सचिव फंसे चल रहे हैं। शनिवार को जिला पंचायत राज अधिकारी श्रेया मिश्रा ने कार्रवाई के शिकंजा में तत्कालीन ग्राम पंचायत चंगासी पर तैनात रहा सचिव दीपक गुप्ता पर कार्रवाई शुरुआत कर दी है।
वित्तीय वर्ष 2020 में सचिव ने ग्राम पंचायत पर विकास कार्य के लिये 96 लाख रुपये निकाल लिया, लेकिन बिल एक भी जमा नहीं किया है। इसके अलावा म्याऊं ब्लाक के विनायक आर्या 19 लाख की गड़बड़ी में फंसे हैं। शैलेश यादव कार्रवाई के दायरे में हैं। इसके अलावा पंचायत राज विभाग में एक दर्जन सचिवों की जांच चल रही है जो घोटाला में फंसे हैं। सहसवान, सालारपुर, म्याऊं, दातागंज, उसावां, इस्लामनगर, कादरचौक, बिसौली सहित सचिव शामिल हैं।
5 सचिवों पर आते ही गिराई थी गाज
जिले में पंचायत राज विभाग में भ्रष्टाचार और लापरवाही वाले अधिकारियों पर डीपीआरओ ने कार्रवाई की शुरुआत तो तैनाती लेने के समय ही कर दी थी। पंचायत घरों और पार्कों में बनवाने में लापरवाही करने वाले पांच सचिवों पर जिले में निलंबन की कार्रवाई की गई थी। नंवबर महीने में पांच सचिव निलंबित हुये अब फिर पांच रडार पर हैं।
दो निलम्बित तीन और रडार पर
पंचायत राज विभाग में आरोप सचिवों पर ही हैं और सभी घपले के। पिछले दिनों ही सुरेंद्र सक्सेना को 19 लाख रुपये के गबन में निलंबित किया है। इसके अलावा धीरेंद्र को निलंबित किया गया है। वहीं विनायक आर्या, शैलेश यादव, दीपक गुप्ता जिन्होंने लाखों रुपये का गबन किया है और साक्ष्य विभाग को अब तक नहीं दे पाये हैं। विभाग ने जांच कमेटी बनाकर कार्रवाई शुरू कर दी है।
एक सचिव सम्भाले 20-20 ग्राम पंचायत
सभी ब्लाकों पर यही हाल है। एक-एक सचिवों पर 20-20 ग्राम पंचायतें हैं जिन्हें संभाल रहे हैं। अधिकांश सचिव राजनीतिक भी हैं, इसलिये कार्रवाई से बचे रहते हैं और घोटाला पर घोटाला करने में लगे हैं।
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