बिहार के अमरीश की अनूठी राखी इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज
पहले धान की भूसी से रंगोली बना लहराया परचम, अब राखी से कला-कैनवास के शिखर पर
कैमूर के लाल ने कला में बिखेरा प्रकृति से लगाव का रंग
निशा
भभुआ (बिहार)। कला एवं शिल्प महविद्यालय पटना के अंतिम वर्ष के छात्र व मूर्ति कला विभाग में अध्ययनरत अमरीशपूरी उर्फ अमरीश कुमार तिवारी ने अपने कलाकृति से एक बार फिर बिहार राज्य का नाम रौशन किया है।
कैमूर जिला के भगवानपुर प्रखंड के मझियांव गांव निवासी राधेश्याम तिवारी व माया देवी के तृतीय छोटे पुत्र अमरीश ने रक्षाबंधन के अवसर पर 25 स्क्वायर फीट का नेचुरल राखी तैयार किया था।जो अभी तक देश की सबसे बड़ी राखी रही। जिसे प्रदर्शनी के लिए वन पदाधिकारी द्वारा बिहार राज्य के जिला मुख्यालय भभुआ में विशालकाय पीपल के वृक्ष मे बांधा गया था जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। साथ ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर भी संदेश देने का कार्य किया गया।
एक कलाकार ही असल रूप से प्रकृति से जुड़ता है। अमरीश ने उसके कुछ दिन बाद इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए अप्लाई किया था जिसे अब पुष्टि कर स्वीकृत कर लिया गया है। यह सुचना इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड टीम के द्वारा 2 दिसंबर 2022 को ईमेल के द्वारा मिली जो कि पूरे बिहार के लिए गौरव की बात है। अमरीश द्वारा निर्मित राखी की सुंदरता अनुपम है जिसमे सामग्री के तौर पर 5×5 आकार का पेपर कार्टून, 500 ग्राम नारियल रस्सी, 250 ग्राम कच्चा रक्षा सूत्र, 250 ग्राम चावल, 6 खानों में भरा गया है, 250 ग्राम गेहूं, 6 खानो में भरा गया, एक बास का डलिया, 15 गोलाकार नारियल रस्सी का गोटा, 500 ग्राम का फेविकोल का प्रयोग किया गया है। इसकी विशेषता है कि सभी तिरंगे रंग में रंगे हुए हैं। र
खी पर लाल रंग का एक पट्टी है जिसपर सफेद रंग से महामृत्युंजय जाप का उल्लेख किया गया है।जो राखी की सुंदरता मे चार चांद लगाते हैं।वहीं राखी में छः छः फिट का दोनों तरफ लम्बा रक्षा सूत्र लगाया गया है जिससे विशाल पीपल के पौधा में बांधा जा सके। बता दें कि अमरीश ने पहले भी धान की भूसी से तिरंगे के रंग में विलीन 900 वर्ग फीट का रंगोली बनाया था।जो इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह बनाने मे सफल रहा और अब इनके द्वारा निर्मित राखी ने भी इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्ड मे जगह बनाकर दूसरी बार सफलता दिलाई है।एक साल में लगातार दो रिकॉर्ड अमरीश ने बिहार से अपने नाम दर्ज कराया है।
सफलता से गदगद अमरीश बताते हैं कि मेरा अपना एक खुद का संस्था है कलाकृति मंच जिसके माध्यम से आए दिन कला का प्रशिक्षण नि:शुल्क में देते रहते हैं। इन्होंने कोरोना काल में सैंड आर्ट और रंगोली के जरिए कई जगहों पर जागरूकता अभियान चलाया था।सामाजिक कार्य करने में चढ़-बढ़ कर हिस्सा लेते रहते हैं।कला का प्रशिक्षण निःशुल्क देने में दिलचस्पी रखते हैं इसलिए भविष्य में अपने आप को कला शिक्षक के रूप में देखना चाहते हैं जिससे कला प्रेमियों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित कर सकें। दुनिया में हर व्यक्ति के अंदर कोई न कोई कला जरूर होता है उसे निखरने के लिए सही माहौल और प्रशिक्षण ले तो कोई भी कलाकार बन सकता है।
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