कूटरचित अभिलेखों के जरिये हुये पट्टा के बाद विवादित भूखण्ड का एसडीएम के पुत्रों के नाम बैनामा बना चर्चा का विषय
कूटरचित अभिलेखों के जरिये हुये पट्टा के बाद विवादित भूखण्ड का एसडीएम के पुत्रों के नाम बैनामा बना चर्चा का विषय
लेखपाल जितेन्द्र सिंह व उपजिलाधिकारी ने अपने परिजनों और रिश्तेदारों के नाम अवैध रूप से बनायी करोड़ों की अकूत सम्पत्ति
अपनी जमीन की पैमाइश के लिये तहसील के चक्कर लगा रहे पीड़ित की ही जमीन का हुआ बैनामा
संदीप पाण्डेय
रायबरेली। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टालरेन्स की नीति की दुहाई दे रहे हैं जबकि असलियत इससे कुछ अलग ही नजर आ रही है। आए दिन कूटरचित अभिलेखो के जरिये फर्जी बैनामो के मामले प्रकाश में आते रहते हैं। उल्लेखनीय है कि सदर तहसील में न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात एसडीएम के ऊपर पैमाईश के लिए विचाराधीन भूखंड का बैनामा अपने पुत्रों के नाम कराये जाने का गंभीर आरोप लगा है।
पीड़ित की मानें तो लखनऊ प्रयागराज राजमार्ग के समीप मौजूद बेशकीमती जमीन की पैमाईश कराये जाने के लिए उसने सदर एसडीएम से गुहार लगाई। प्रकरण क्षेत्रीय कानूनगो के पास लंबित ही रह गया और लेखपाल जितेंद्र सिंह की मिलीभगत से कूटरचित तरीके से उक्त भूखंड का बैनामा बीती 19 जुलाई को अनुपम सैनी और अनुराग सैनी पुत्रगण जीतलाल सैनी के नाम करा दिया गया। पीड़ित का आरोप है कि चक निजाम क्षेत्र की उक्त भूमि अभिलेखों में सार्वजनिक उपयोग की सुरक्षित जमीन के तौर पर दर्ज थी। उक्त भूखंड को लेखपाल जितेंद्र सिंह की मिलीभगत से कूटरचित तरीके से भांव निवासी जाबिर और रुबी के नाम पट्टा कर दिया गया।
हद तो तब हो गई जब पीड़ित को न्याय दिलाये जाने के बजाय उस जमीन का बैनामा विवादित एसडीएम के पुत्रों के नाम कर दिया गया। सूत्रों की मानें तो सदर तहसील में तैनात भ्रष्ट लेखपाल जितेंद्र सिंह और एसडीएम ने अपने परिजनों और रिश्तेदारों के नाम अवैध रूप से करोड़ो की अकूत संपत्ति बना रखी है। अब सवाल है कि जब पीड़ितों को न्याय के बजाय उनकी जमीनों का सौदा ही किया जाने लगेगा तो फरियादियों को कैसे न्याय मिलेगा।
प्रकरण मेरे संज्ञान में नहीं हैः शिखा शंखवार
इस संबंध में जब सदर एसडीएम शिखा शंखवार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रकरण संज्ञान में नहीं है। मामले की जानकारी कराई जाएगी।